सोनभद्र

प्रदूषण विभाग स्टिंग : विभाग में प्रदूषण अधिकारी समेत तीन लोगों का था सिंडिकेट, बिना पैसे के जारी नहीं होते थे एनओसी

शान्तनु कुमार

★ अधिकारी के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर भी दोषी, कब होगी कार्यवाही

★ अधिकारी का चैंबर बन गया था वसूली का अड्डा

★ कई व्यापारी थे काफी त्रस्त

★ ऐसे भ्रष्ट अधिकारी का तबादला नहीं, कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए

★ योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस की धज्जियां उड़ा रहा था क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी

सोनभद्र । प्रदूषण विभाग में घूसखोरी का वीडियो वायरल होने के बाद यह तो साफ हो गया कि सोनभद्र व मिर्जापुर जनपद में पर्यावरण एनओसी पैसे पर बिका होगा। सोनभद्र व मिर्जापुर क्रेशर प्लांटों, खनन व कम्पनियों में दिए जाने वाले पर्यावरण एनओसी कैसे जारी किया इसकी जांच होनी चाहिए । सूत्रों की माने तो क्रेशर से लेकर खनन व कम्पनियों को जारी किए जाने वाले एनओसी में बिना पैसे के प्रमाण पत्र जारी नहीं होता था । सूत्रों की माने तो विभाग में क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के साथ उनका कम्प्यूटर ऑपरेटर व एक अन्य स्टाफों का एक सिंडिकेट चलता था, जो मिलकर धन उगाही का काम किया करते थे।
वायरल वीडियो में भले ही क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी टी0एन0 सिंह खुद को ईमानदार दिखाने के लिए पैसा खुद न पकड़कर कम्प्यूटर ऑपरेटर को देने को कहा, क्योंकि टी0एन0 सिंह जानते थे कि कम्प्यूटर ऑपरेटर इस सिंडिकेट का हिस्सा है, इसलिए उसे अपने साथ रखे थे ।
जिलाधिकारी ने भले ही जांच एडीएम को दिए जाने की बात कही हो मगर जांच कब तक पूरी होकर रिपोर्ट आ जायेगी यह समय तय नहीं है । क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी का तबादला हो गया है ऐसे में प्रशासन को जांच में सबसे पहले कम्प्यूटर ऑपरेटर को बुलाकर उसका बयान दर्ज करना चाहिए ताकि सारे तथ्य व सच्चाई सामने आ सके । देखा जाय तो नियमानुसार कम्प्यूटर ऑपरेटर पर भी कार्यवाही होनी चाहिए । क्योंकि क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी टीएन सिंह के साथ कंप्यूटर ऑपरेटर भी उतना ही जिम्मेदार व दोषी है क्योंकि कंप्यूटर ऑपरेटर न सिर्फ पैसे की लेनदेन के दौरान वहां मौजूद था बल्कि पैसा वह आपकी जेब में रखता हुआ वीडियो में दिख रहा है ।
बताया तो यह भी जा रहा है कि लेनदेन का यह कोई पहला मामला नहीं है । इस तरह के मामले क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के चेंबर में हमेशा होता रहा है और वहां पूरा सिंडिकेट अपना काम कर रहा था । मगर एक स्टिंग ने सारे सिंडिकेट के चेहरों को बेनकाब कर दिया ।
अब देखने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन द्वारा बैठाई गई जांच में क्या तथ्य सामने निकल कर आता है और रिपोर्ट कितने दिनों में सार्वजनिक किया जाता है ।

सम्बन्धित ख़बरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page