सोनभद्र

मां सरस्वती प्रतिमा को मूर्त रूप देने में जुटे मूर्तिकार

रमेश ( संवाददाता )

दुद्धी।कस्बे सहित आसपास के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, छात्रावासों तथा गली-मोहल्लों में छात्रों द्वारा मां सरस्वती की पूजा की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए मूर्ति स्थापित करने की जगह का चयन कर उसे साफ-सुथरा करने का काम भी शुरू कर दिया गया है। पूजा स्थलों पर पंडाल लगाने की तैयारी भी हो रही है। वहीं, मूर्तिकारों द्वारा मां सरस्वती की मूर्तियों को एक माह पहले से ही निर्माण किया जा रहा है।दुद्धी कस्बे के धनौरा रोड रामनगर तथा मल्देवा रोड सहित कई जगहों पर मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियां बनाई जा रही है। जहां छोटे साइज से लेकर बड़े आकार की मूर्तियों का निर्माण किया गया है। कुछ मूर्तियां ऑर्डर के आधार पर तैयार की गई है। इन मूर्तियों की कीमत एक हजार से लेकर 5हजार रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है।धनौरा रोड रामनगर स्थित नारायण मूर्तिकार ने बताया कि मूर्ति निर्माण सामग्री की दाम हर साल बढ़ती जा रही है तथा बाजार में रंगीन प्रतिमाओं की मांग रहती है, इसलिए फैसनिंग डिजाइन की मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि मेरे यहां एक हजार रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक के रेंज में मूर्ति उपलब्ध हैं।

ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती की अराधना का पर्व है सरस्वती पजूनोत्सव –
हिन्दू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी का परम स्थान प्राप्त है। इस दिन माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां सरस्वती का अवतरण सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने किया था। ब्रह्माजी ने सबसे पहले सृष्टि की रचना की। फिर मनुष्य की। उन्होंने वाणी की देवी सरस्वती को अपने कमंडल से जल छिड़कर उत्पन्न किया और सृष्टि में वाणी का बोध हुआ। इसी कारण सरस्वती को वाणी की देवी कहा जाता है। इसे वसंत पंचमी के नाम से भी जानते हैं। वसंत पंचमी के दिन समर्पित भाव से मां सरस्वती की पूजा-पाठ से पूजनकर्ता को कला और ज्ञान के क्षेत्र में सफल होने का आशीष मिलता है। मनुष्य में ज्ञान का संचार और वाणी में मधुरता आती है।

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