Sonbhadra News : बिना डॉक्टर चल रहे निजी अस्पताल, तीन अस्पतालों की जांच में नहीं मिला एक भी डॉक्टर
सोनाँचल में बिना डॉक्टर के ही कई निजी अस्पताल चल रहे हैं, इनमें पूर्णकालिक डॉक्टर नहीं हैं, अन्य स्टाफ ही मरीजों का इलाज करता रहता है। गुरूवार क़ो सीएमओ की टीम ने चोपन क्षेत्र में तीन निजी अस्पतालों...

निजी अस्पतालों की जाँच करते नोडल अधिकारी डॉ0 गुलाब शंकर यादव....
sonbhadra
7:37 AM, April 25, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । सोनाँचल में बिना डॉक्टर के ही कई निजी अस्पताल चल रहे हैं, इनमें पूर्णकालिक डॉक्टर नहीं हैं, अन्य स्टाफ ही मरीजों का इलाज करता रहता है। गुरूवार क़ो सीएमओ की टीम ने चोपन क्षेत्र में तीन निजी अस्पतालों पर छापा मारा तो ये हकीकत सामने आई। तीनों अस्पतालों में किसी में भी डॉक्टर नहीं मिलने सहित कई खामियाँ मिली साथ ही यह तय नहीं हो पाया कि अस्पताल पंजीकृत हैं या नहीं। नोडल अधिकारी ने संबंधितों को नोटिस देकर शुक्रवार तक दस्तावेज सीएमओ कार्यालय में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ0 गुलाब शंकर यादव ने गुरुवार दोपहर चोपन इलाके के निषादराज हॉस्पिटल, हेल्थ केयर ट्रामा सेंटर और जनसेवा हॉस्पिटल में छापा मारा। तीनों में से किसी भी हॉस्पिटल में पूर्णकालिक चिकित्सक नहीं मिला और ना ही फायर एनओसी और बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की उचित व्यवस्था ही मिली। टीम ने तीनों अस्पतालाें को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
नोडल अधिकारी डॉ0 गुलाब शंकर की जांच के दौरान एक भी अस्पताल में कोई एमबीबीएस डॉक्टर मौजूद नहीं मिला। एसीएमओ ने स्पष्ट किया कि अस्पताल में फुल टाइम एमबीबीएस डॉक्टर का होना अनिवार्य है। वहीं दूसरे अस्पताल में न तो फायर एनओसी प्रस्तुत की गई और न पर्यावरण एनओसी दिखाई गई। संचालक की ओर से दिखाए गए रजिस्ट्रेशन पेपर पर हस्ताक्षर भी नहीं थे। अस्पताल अपने आप को ट्राॅमा सेंटर कहता रहा, जबकि नियमानुसार आवश्यक डॉक्टर मौजूद नहीं थे। तीसरे अस्पताल की भी हालत संतोषजनक नहीं थी। जांच के दौरान न तो कोई डॉक्टर मिला और न ही रजिस्ट्रेशन के कागजात दिखाए जा सके। एसीएमओ ने तीनों अस्पतालों के संचालकों को नोटिस देकर शुक्रवार तक दस्तावेज सीएमओ कार्यालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कहा कि कार्यालय में आने पर प्रमाणित होगा कि यह अस्पताल पंजीकृत हैं कि नहीं। तय अवधि में वैध कागजात नहीं दिखाए गए तो न केवल कार्यवाही होगी, बल्कि भविष्य में भी इन अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में अभी 62 अस्पताल पंजीकृत हैं।
अवैध अस्पतालों को विभाग का संरक्षण -
अति पिछड़े जिले में बिना पंजीकृत अस्पतालों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। ग्रामीण अंचलों में बिना डिग्री और लाइसेंस के क्लीनिक खोलकर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। बीमारी साधारण हो या फिर गंभीर। बिना डिग्री वाले कथित डॉक्टर उसका सटीक इलाज करने का दावा करने से नहीं चूकते। स्वास्थ्य विभाग इन पर शिकंजा कसने में नाकाम हैं। विभाग की आंखें तभी खुलती हैं, जब इन अस्पतालों में भर्ती किसी मरीज की जान जाती है और परिजन हंगामा करते हैं। मामला सुर्खियों में आने पर क्लीनिक के कागजात खंगाले जाते हैं और फिर कमियां बताकर सील कर दिया जाता है। कुछ दिनों बाद ही सब कुछ सामान्य हो जाता है। एक-दो नहीं, ऐसे कई उदाहरण हैं। तेजी से बढ़ते अवैध अस्पतालों की संख्या विभागीय जिम्मेदारों के कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है।