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कतर में कथित जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व कर्मियों को बड़ी राहत मिली है । कोर्ट ने फांसी की सजा को रोक दिया है । मौत की सजा के खिलाफ भारत की तरफ से अपील दाखिल की गयी थी । कतर की अदालत ने 26 अक्टूबर को नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी ।मौत की सज़ा को कारवास में बदलने के बाद इस बात की उम्मीद भी बढ़ गई है कि 2015 के समझौते के मुताबिक़ 8 भारतीयों को भारत में सज़ा पूरा करने का विकल्प भी मिल जाए ।
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “दहरा ग्लोबल केस में गिरफ्तार पूर्व नेवी ऑफिसर को लेकर आए फैसले पर हमने गौर किया है। सजाएं कम कर दी गई हैं। कतर के कोर्ट ऑफ अपील के विस्तृत फैसले की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा हमारा अगला कदम क्या होगा, इस पर भी निर्णय लेने के लिए हम कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में हैं।”
बयान में आगे कहा गया है, “कतर के कोर्ट ऑफ अपील में आज हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी के साथ सजा पाने वाले ऑफिसर के परिवार वाले भी मौजूद थे। मामले की शुरुआत से ही हम उनके साथ खड़े हैं और हम आगे भी सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। इसके अलावा इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे। मामले की गंभीरता और जरूरी गोपनीयता को देखते हुए इस समय इस पर कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।”
जिन आठ भारतीयों को कतर की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, वे सभी वहां की ‘अल-जाहिरा अल-आलमी कन्सलटेन्सी एंड सर्विसेज’ नामक कंपनी में काम करते थे। ये सभी भारतीय नौ सेना के अधिकारी रह चुके हैं। इन पर जासूसी करने के आरोप थे। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इन आठों भारतीयों को अब फांसी की जगह उम्र कैद की सजा दी जाएगी। वैसे अभी अदालत के फैसले का इंतजार किया जा रहा है कि उनकी सजा घटाकर कितने दिनों की जेल की गई है।
ये सभी पूर्व नेवी अफसर पिछले साल अगस्त से कतर की जेल में बंद हैं। कतर ने अभी तक इन पर लगे आरोपों की जानकारी नहीं दी है। इन 8 पूर्व नौसैनिकों में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कमांडर पूर्णंदू तिवारी (रि.) भी शामिल हैं। इन्हें 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।