Sonbhadra News : पांच प्रांतों के श्रद्धालुओं का आस्था का प्रमुख केंद्र है यहां का सूर्य मंदिर
झारखंड-उत्तर प्रदेश सीमा को विभाजित करने वाली सततवाहिनी व कुकुरडुबा नदी के संगम स्थल पर स्थित विंढमगंज का सूर्य मंदिर पांच प्रांतों के श्रद्धालुओं का आस्था का प्रमुख केंद्र है।

यूपी-झारखंड बार्डर पर बना सूर्य मंदिर
sonbhadra
4:40 PM, November 6, 2024
धर्मेंद्र गुप्ता (संवाददाता)
विंढमगंज (सोनभद्र) । झारखंड-उत्तर प्रदेश सीमा को विभाजित करने वाली सततवाहिनी व कुकुरडुबा नदी के संगम स्थल पर स्थित विंढमगंज का सूर्य मंदिर पांच प्रांतों के श्रद्धालुओं का आस्था का प्रमुख केंद्र है। नदी के संगम स्थल पर स्थित इस मंदिर की विशेष महत्व इसलिए बढ़ जाती है कि पुराणों में यह विधान है कि छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के छट्ठी को मनाए जाने वाला एक हिंदू पर्व है। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।यह वैदिक काल से यह चला रहा है ।इस त्यौहार के अनुष्ठान कठोर है यह 4 दिन की अवधि में मनाए जाते हैं ।इसमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और छठ पर्व सुर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मैया को व्रत की महिलाएं समर्पित करते हैं ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की व्यवस्था को बहाल करने के लिए पूजा की जाती है। इस पर्व में कोई मूर्ति पूजा शामिल नहीं है।सिर्फ भगवान भास्कर को ही देव मानकर पर्व मनाया जाता है। सन क्लब सोसायटी के द्वारा इस संगम स्थल पर क्षेत्र के स्थानीय लोगों से 5, ₹5 के आर्थिक सहयोग से विशाल सूर्य मंदिर बना है। मंदिर की आधारशिला क्लब के द्वारा सन् 2000 में रखा गया था जो 14 वर्षों की कड़ी मेहनत व लगन से बनकर तैयार है। सन क्लब के प्रभात कुमार ने मौके पर कहा कि इस संगम स्थल पर स्थापित सूर्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से इतना जीवंत आ गया है कि यहां मनौती मांगने के बाद अवश्य ही पूरी होती है। झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दर्जनों गांवों से हजारों छठी व्रत करने वाली महिलाएं इस पर्व पर आती हैं और अपने दुःखों को भगवान भास्कर के समक्ष मनोती मान कर जाती है। 1 वर्ष बीतने के पश्चात उनकी मनौती पूर्ण होने के बाद गाजेबाजे के साथ छठ पर्व करने के लिए अपने सपरिवार आती है ।मनोती पूरा होने के पश्चात व्रती महिलाएं रोड पर दंडवत व छठी मैया की जयकारा के साथ जयघोष करते हुए छठ घाट तक भगवान सूर्य को नमन करते हुए आती हैं जिससे पूरा इलाका छठ माई की जय सूर्य भगवान की जय से गुंजयमान हो जाता है।विण्ढमगज(सोनभद्र)। सततवाहिनी नदी व कुकुर डूबा नदी के संगम स्थल पर स्थापित सुर्य मंदिर, सोनभद्र सहित झारखंड, बिहार छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों का भक्ति, विश्वास का प्रतीक है। यहां पर दूर दराज से लोग छठ महापर्व करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि दो नदियों के संगम स्थल पर छठ महापर्व करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
उत्तर प्रदेश, झारखंड को विभाजित करने वाले सतत वाहिनी नदी के संगम तट पर स्थित सूर्य मंदिर की महिमा अपार है। यहां पर पूरे साल भक्तों का ताता लगा रहता है। जिले का सबसे प्राचीन भव्य सूर्य मंदिर है यहां हर साल कई प्रांत के लोग छठ महापर्व करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। बुर्जुग बताते हैं कि जब यह इलाका घनघोर जंगल था तब से ही यहां पर छठ महापर्व होते आ रहा है ।1902 ईo में जब अंग्रेज अधिकारी विंढम साहब ने विण्ढमगंज नगर को बसाया था, तब बिहार साइड के काफी लोग विंढमगंज आए और यहीं पर बस गए । उसी समय से छठ पर्व भी यहां लोग करते आ रहे है ।