Sonbhadra News: खतरे में मरीज... बिना फायर एनओसी के चल रहा जिला अस्पताल
जिला अस्पताल प्रशासन मरीजों की जान से खिलावाड़ करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। जिला अस्पताल बिना फायर एनओसी के ही संचालित हो रहा है। आज फायर सेफ्टी ऑडिट करने जिला अस्पताल पहुँचे मुख्य अग्निशमन...

फायर सेफ्टी ऑडिट करते सीएफओ श्रीराम साहनी
sonbhadra
10:49 PM, November 19, 2024
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जिला अस्पताल प्रशासन मरीजों की जान से खिलावाड़ करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। जिला अस्पताल बिना फायर एनओसी के ही संचालित हो रहा है। आज फायर सेफ्टी ऑडिट करने जिला अस्पताल पहुँचे मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने जिला अस्पताल की आग बुझाने की व्यवस्थाओं को चेक किया तो यह चौकाने वाली जानकारी सामने आई।
अग्निशमन विभाग ने जिला अस्पताल का किया फायर सेफ्टी ऑडिट -
झाँसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों के दावों की बखिया उधेड़ दी है। करीब 11 बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद अब जिम्मेदार जाँच और कार्यवाही के आदेश जारी कर खानापूर्ति कर रहे हैं। इधर सोनभद्र का जिला अस्पताल फायर अनुमति को दरकिनार कर संचालित हो रहा है। अग्निकांड की स्थिति में यहाँ झांसी के अस्पताल से भी ज्यादा भयावह स्थिति होगी। आज मुख्य अग्निशमन अधिकारी श्रीराम साहनी और करन सिंह यादव ने जिला अस्पताल पहुँच फायर सेफ्टी ऑडिट किया तो वहाँ चौकने वाला खुलासा हुआ। जिला अस्पताल में रोजाना हजारों की संख्या में इलाज के लिए मरीज पहुँचते हैं लेकिन यहां फायर फाइटिंग के इंतजाम नगण्य हैं। यहाँ न तो फायर एलार्म लगाया गया है और ना ही इमरजेंसी द्वार बनाये गए हैं साथ ही NICU के बाहर और ICU में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर को तत्काल वहाँ से हटवाने के लिए निर्देशित किया गया।
मात्र 28 अग्निशमन यंत्रों के भरोसे जिला अस्पताल की सुरक्षा -
सीएफओ के निरीक्षण में जिला अस्पताल में 28 अग्निशमन यन्त्रों के अतरिक्त फायर सेफ्टी को लेकर कोई भी इंतजाम नहीं मिला। NICU और पोषण पुनर्वास केंद्र में तो अग्निकांड से बचाव के नाम पर मात्र दो अग्निशमन यंत्र लगे हैं। ऑपरेशन थिएटर एक अग्निशमन यंत्र तो वहीं मरीजों का वार्ड दो अग्निशमन यंत्रों के भरोसे है। हालांकि, इनकी रिफिलिंग की तिथि दिसंबर में खत्म होने वाली है।
क्या बोले अधिकारी -
वहीं निरीक्षण के बाद मुख्य अग्निशमन अधिकारी श्रीराम साहनी ने बताया कि "जिला अस्पताल में आग बुझाने के संसाधन नाममात्र को हैं, सिर्फ दिखावे के लिए उपकरण लगाए गए हैं। ऐसे में आग की घटना हुई तो वो अग्निशमन विभाग के ऊपर ही निर्भर होगा। अस्पताल में रील स्प्रिंकल, डिटेक्टर, पानी पंप सहित बहुत सारे उपकरणों की कमी है। ऐसे में एनओसी मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। एक रिपोर्ट बनाकर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को दी जाएगी, जिससे इसमें सुधार हो सके।"