Sawan Special Sonbhadra News : गुप्तकाशी की वो रहस्यमयी गुफा, जहाँ सपरिवार विराजते हैं महादेव, पत्थर से आती है डमरू की धुन
"गुप्त काशी" के नाम से विख्यात सोनभद्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यह जिला प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भरा हुआ है। रामायण और महाभारत काल की गाथाओं से जुड़े इस जिले में...

शिव पार्वती अमर गुफा.....
sonbhadra
9:08 PM, July 10, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । "गुप्त काशी" के नाम से विख्यात सोनभद्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यह जिला प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भरा हुआ है। रामायण और महाभारत काल की गाथाओं से जुड़े इस जिले में हर कालखंड के इतिहास की झलक मिलती है। शुक्रवार से सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है और भगवान शिव के भक्त शिवालयों में उनके दर्शन करने के लिए जाते हैं। वहीं आज हम आपको देवाधिदेव महादेव के एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ महादेव अपने कुटुंब के साथ विराजमान हैं। यह गुफा रहस्यों से भरी हुई है, गुफा की सबसे अद्भुत विशेषता यह है कि यहां के पत्थरों से डमरू जैसी आवाजें आती हैं, जिसका रहस्य आज तक कोई भी सुलझा नहीं सका है।
कैसे पहुँचे शिव पार्वती अमर गुफा -
यह गुफा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर डाला क्षेत्र के सलाईबनवा में स्थित है। सलाईबनवा रेलवे लाइंस के किनारे से गुजरने वाले पथरीले रास्तों से होकर दो किमी0 चलने पर शिव पार्वती अमर गुफा तक पहुंचा जा सकता है शिव पार्वती अमर गुफा तक पहुंचा जा सकता है।
शिव-पार्वती अमर गुफा का अद्भुत रहस्य -
सोनभद्र मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित शिव पार्वती अमर गुफा में महादेव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। तकरीबन 30 मीटर गहरी इस गुफा की अद्भुत संरचना और माहौल लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस गुफा में ठंड के दिनों में गर्मी और गर्मी के दिनों में ठंड का अनुभव होता है। गुफा के भीतर पूरे साल जल का रिसाव होता है। गुफा जमीन से काफ़ी ऊंचाई पर है लेकिन ये जल कहां से आता है, ये भी कोई नहीं जानता। यहीं नहीं इस गुफा में एक ऐसा पत्थर है जिस पर थाप देने पर डमरू की आवाज आती है. ये आज भी रहस्य है कि ये चमत्कार आखिर कैसे होता है. लोग इसे महादेव की मर्जी मानते हैं. ये गुफा कितनी पुरानी है इस बारे में सटीक कुछ नहीं कहा जा सकता है. किसी ने इस गुफा को बनवाया या ये स्वतः बनी, ये भी पहेली है. यहां आने मात्र से ही लोगों को शांति और दुखों से निवारण का अनुभव होता है
....ज़ब एक कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारी क़ो आया स्वप्न -
75 वर्षीय पुजारी कालिका प्रसाद ने बताया कि "कई कंपनियों ने इस पहाड़ी को अपने उपयोग में लाने की कोशिश की, लेकिन महादेव की महिमा से उनका प्रयास विफल रहा। एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी को स्वप्न में भगवान शिव के दर्शन हुए जिसके बाद गुफा का रास्ता खुला। गुफा के भीतर जहाँ भगवान गणेश, नंदी, महालक्ष्मी, महाकाली और महागौरी की प्राकृतिक शिलाओं के रूप में मूर्तियां भी पाई गईं, जिसके बाद यहां अनवरत पूजा अर्चना शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि शिव पार्वती की मूर्ति जमीन की कितनी गहराई से जुड़ी है इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिल पायी है क्युंकि शिव लिंग के ठीक नीचे एक बहुत ही गहरा गड्ढा भी बना हैजिसकी गहराई का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। वहीं उन्होंने बताया कि महादेव के ऊपर गिरने वाली जलधारा, जो सालभर बिना किसी स्रोत के गिरती रहती है, जैसे शिवलिंग पर जलहरी रखी हो. यह जलधारा कहां से आती है, इसका भी किसी को सटीक जानकारी नहीं है।"
प्रति वर्ष बढ़ रहा महादेव का शिवलिंग -
पुजारी कलिका प्रसाद ने बताया कि "शिवलिंग प्रति वर्ष बढ़ रहा है क्युंकि कई वर्ष पूर्व ज़ब वह इस मंदिर में पूजा करने आये थे तो शिवलिंग का आकार बहुत छोटा था लेकिन अब शिवलिंग काफ़ी बड़ा आकार ले चुके है। उन्होंने बताया कि गुफा के बाहर सोनभद्र पर्यटन विभाग की तरफ से टीन सेड और टाइल्स तथा गुफा के भीतर फ्लोर टाइल्स लगवाया गया है, जिससे श्रद्धालुओं क़ो काफ़ी सहूलियत मिलती है।"
अमर गुफा से 50 मीटर की ऊंचाई पर है स्थित है हनुमान गुफा -
शिव पार्वती अमर गुफा से 50 मीटर आगे चलकर पहाड़ी पर चढ़ाई करने पर एक और गुफा मिलती है, जिसके अंदर हनुमान जी अपने प्राकृतिक स्वरूप में विराजते हैं। इस गुफा का द्वारा बहुत ही सकरा है उसके बावजूद पवित्र सावन माह में वहां श्रद्धालुओं का रेला लगा रहता है। एक-एक कर श्रद्धालु गुफा में प्रवेश करते हैं और बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसी मान्यता है कि चरवाहों की बकरी को जाने के बाद ढूंढते-ढूंढते चरवाहे जब इस गुफा तक पहुंचे तो देखा की बकरी इसी गुफा में गिरी थी। वहां हनुमान जी का दिव्या प्राकृतिक मूर्ति देख पूजा नार्कन शुरू कर दिया और बकरी के सुरक्षित बचे रहने क़ो भी हनुमान जी का चमत्कार करार दिया, इसके बाद यहां श्रद्धालुओं का जमघट लगने लगा।
शिव पार्वती अमर गुफ के धार्मिक महत्त्व और मान्यताएं -
शिव पार्वती अमर गुफा महाशिवरात्रि और सावन मास के दौरान श्रद्धालुओं से भरी रहती है। यहां दूर-दूर से भक्त महादेव का आशीर्वाद लेने आते हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले सच्चे भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होती है।