धर्मेंद्र गुप्ता (संवाददाता)
विंढमगंज (सोनभद्र) । दुद्धी तहसील क्षेत्र के कनहर व ठेमा नदी के संगम क्षेत्र में स्थित श्मसान घाट पर मकर संक्रांति का मेला इस बार रविवार को लगेगा। यह सुनने में भले ही अजीब लगता हो किन्तु यह सत्य है, इलाके के दर्जन भर गांवों के बीच से लोग अपने मृतक परिजनों का अंतिम संस्कार इसी संगम तट पर करते है जहाँ मकर संक्रांति के दिन प्रत्येक वर्ष मेले के आयोजन की परम्परा सैकड़ों साल से चली आ रही है । यहाँ संक्रांति के दिन उषा काल में स्नान दान आदि की क्रियाएँ एक ओर आध्यात्मिक महत्व बयाँ करती है वहीँ श्मसान क्षेत्र में लगने वाला एक दिवसीय मेला दुःखों के महल में खुशियां तलाशती नजर आती है।मेला क्षेत्र के समीप ही एक तरफ जहाँ धूं धूं कर चिता जलती है वहीँ दूसरी ओर मेले में युवक-युवतियों, बच्चे व बुढो की उमंगें अंगड़ाइयां ले रही होती है।हिराचक निवासी 81 वर्षीय पण्डित रामनरायन मिश्र की माने तो यहाँ पर मेले का आयोजन सैकड़ों साल से होता आ रहा है जहाँ सीमावर्ती झारखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश आदि राज़्यों से चलकर मेला प्रेमी बड़ी संख्या में पहुचते है। दुद्धी विंढमगंज मार्ग पर हिराचक गांव में कनहर के रेत पर दूर तक फैला संक्रांति का मेला आकर्षण के बावजूद रहस्य समेटे हुए है।मेले में खिलौने बेचने वाले दो दिन पहले से ही पहुचने लगते है।मेले में गुड़ की जलेबी, लकठो, चाट पकौड़े के अलावे चरखी और जादू का खेल भी मेल प्रेमियों को आकर्षित करता है।कतिपय स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा यहाँ निः शुल्क शिविर भी लगाये जाते है। पर्याप्त मात्रा में पुलिस बलों की मौजूदगी मेलाप्रेमियों को शांति एवं सुरक्षा प्रदान करती है।