Sonbhadra News : खुनी खदान! फिर एक मजदूर क़ो गवाँनी पड़ी जान
उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र जिले की यह विडंबना ही कही जाएगी कि जिनके बलबूते खदानों में काम होता आया है, उन्हीं के जीवन की सुरक्षा के इंतजाम आज तक नहीं किया जा सका। दशकों बीतने...

सीओ ओबरा हर्ष पाण्डेय...
Whatsapp चैनल फॉलो करे !आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र जिले की यह विडंबना ही कही जाएगी कि जिनके बलबूते खदानों में काम होता आया है, उन्हीं के जीवन की सुरक्षा के इंतजाम आज तक नहीं किया जा सका। दशकों बीतने के बाद भी सोनभद्र की गहरी पत्थर खदानों में असमय दम तोड़ते मजदूरों की मौत का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व में गहरी खदानों में दम तोड़ चुके परिवारों का दर्द अभी कम हुआ भी नहीं था कि आज शाम सोनभद्र के ओबरा तहसील क्षेत्र में स्थित बिल्ली मारकुण्डी स्थित एक खदान में कार्यरत एक मजदूर की काम के दौरान पैर फिसलने से खदान में बने गड्डे में गिरने से गहरी चोट लग गयी, जिसे आनन-फानन में जिला चिकित्सालय लाया गया जहाँ इलाज के दौरान मजदूर की मौत हो गई। इस मौत के बाद सवाल फिर से खड़े होने लगे हैं कि आखिरकार खदानों में कब तक मौत का यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा?
काम के दौरान गड्डे में गिरा मजदूर, मौत -
सीओ ओबरा हर्ष पाण्डेय ने बताया कि "आज ओबरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बिल्ली मारकुण्डी स्थित कृष्ण माइनिंग वर्क्स में कार्य करने के दौरान पैर फिसलने से रुदौली निवासी मजदूर बलवंत सिंह गोंड़ पुत्र रामधानी गोंड़ गड्डे में जा गिरा, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं, इलाज के लिए मजदूर क़ो तुरन्त जिला अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी मौत हो गयी। शव क़ो कब्जे में लेकर पीएम के लिए जिला अस्पताल स्थित मोर्चेरी हॉउस रखवा दिया गया है। मृतक के परीजनों की तहरीर के आधार पर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाएगी।"
सोनभद्र की गहरी खदानें बनी मौत की खाई -
सोनभद्र के खदानों में होने वाले हादसा-दर हादसों के बाद एक सवाल उठता रहा है कि आखिरकार खनन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ों को काटने और गहरे गड्ढे खोदने के लिए अनुमति दी तो जाती है, लेकिन उन्हें पाटने की जो नियमावली है आखिरकार उसे नजर-अंदाज करते आए लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती है? जबकि यह काम पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए क्योंकि इससे आम इंसानों से लेकर जंगली जीव जंतुओं के जीवन को भी खतरा बना रहता है, लेकिन नहीं ऐसा न कर खनन कंपनियां अनुचित तरीके से खनन कर बड़ी-बड़ी गहरी खाइयों को बढ़ावा देती आई हैं और इसमें जिला प्रशासन अपनी मुक सहमति दिए रहता है।
खनन क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी -
जिले के पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि खनन क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों का पालन न होना बहुत गंभीर समस्या है। एक ही रास्ते से आना-जाना, खासकर खनन क्षेत्र में, बेहद खतरनाक हो सकता है। यह स्थिति आपातकालीन स्थिति में लोगों को निकलने का रास्ता नहीं छोड़ती है। जिससे हादसे की स्थिति में जान-माल का नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। गहरी खदानों में एक ही रास्ते के कारण हादसे की स्थिति में बचाव कार्य भी मुश्किल हो जाता है, जिससे जान-माल का नुकसान बढ़ जाता है।
देखा जाए तो अधिकारियों द्वारा खनन क्षेत्रों का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, लेकिन यह सबकुछ भी कागजों में ही हो रहा है। ताजा मामला भी इसी अनदेखी का परिणाम बताया जा रहा है। बहरहाल सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि क्या सोनभद्र की 'खूनी खदानों' की कहानी में फिर से कोई अध्याय जुड़ेगा या इस पर रोक लगाने के ठोस उपाय किए जाएंगे। अब देखना यह है कि इस मामले में ठोस कार्यवाही सुनिश्चित हो पाती है या इसे भी अन्य हादसों की तरह दबा दिया जाता है।

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