गिट्टी भंडारण की आड़ में जिस तरह से ई-प्रपत्र जारी किया गया और पकड़े जाने पर प्रशासन ने भले ही आनन-फानन में एफआईआर दर्ज करा दी हो मगर चर्चा इस बात को लेकर शुरू हो गयी है कि इतना बड़ा खेल की जानकारी खनन विभाग को पहले कैसे नहीं हुई । क्या कोई विभाग का कर्मचारी भी इस खेल में शामिल है। क्योंकि कई ऐसे एंगल हैं जिसकी वजह से शक विभाग पर भी गहराने लगा है । हालांकि खान अधिकारी भी मान रहे हैं कि जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी कईयों के नाम और भी सामने आ सकते हैं ।
खनन से जुड़े लोगों का मानना है कि खान अधिकारी को इस दिशा पर भी गौर करने की जरूरत है और कर्मचारियों को पूर्व में दिए गए पटल को बदल देने की जरूरत है वरना यदि किसी कर्मचारी की मिलीभगत रही होगी तो पुलिस की विवेचना में छेड़छाड़ किया जा सकता है । हालांकि शातिर अब तक शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुके हैं ।
हैरान करने वाली बात यह है कि सीएम योगी भले ही गुंडे-माफियाओं पर कार्यवाही कर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाना चाहते हों मगर जिस तरह से उनके ही विभाग में खनन व परिवहन माफिया बेखौफ भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं उस पर लगाम लगाना मुश्किल हो गया है । अब इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो मगर सच यह भी है कि सीएम का खुद का विभाग बेलगाम हो चला और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया हैं । ऐसे में मुख्यमंत्री जब तक बड़ी कार्यवाही नहीं करेंगे तब तक किसी को हटा देने मात्र से सुधार होने वाला नहीं है ।