प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 फरवरी, 2023 को बेंगलुरु के येलहंका स्थित वायु सेना स्टेशन में एशिया के सबसे बड़े एयरो शो- एयरो इंडिया 2023 के 14वें संस्करण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया। यह पांच दिवसीय कार्यक्रम ‘द रनवे टू ए बिलियन अपॉरच्युनिटीज’ विषय पर एयरोस्पेस और रक्षा क्षमताओं में भारत की वृद्धि को प्रदर्शित करेगा। यह एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विजन के अनुरूप स्वदेशी उपकरण/प्रौद्योगिकियां प्रदर्शित करेगा और विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करेगा।
इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरु का आकाश न्यू इंडिया की क्षमताओं का साक्षी बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नई ऊंचाई नए भारत की सच्चाई है। आज भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उन्हें पार भी कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एयरो इंडिया 2023 भारत की बढ़ती क्षमताओं का एक शानदार उदाहरण है और इस आयोजन में लगभग 100 देशों की उपस्थिति उस भरोसे को दर्शाती है जो पूरी दुनिया भारत में दिखाती है। उन्होंने दुनिया की प्रसिद्ध कंपनियों के साथ-साथ भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप सहित 800 से अधिक प्रदर्शकों की भागीदारी का उल्लेख किया। एयरो इंडिया 2023 ‘द रनवे टू ए बिलियन अपॉरच्युनिटीज’ की थीम का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की क्षमता प्रत्येक गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है।
इस कार्यक्रम के साथ आयोजित होने वाले रक्षा मंत्री कॉन्क्लेव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोलमेज सम्मेलन का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी से एयरो इंडिया की क्षमता बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में हो रहे एयरो इंडिया के महत्व का उल्लेख किया जो भारत की तकनीकी प्रगति का केंद्र है। उन्होंने कहा कि इससे कर्नाटक के युवाओं के लिए विमानन क्षेत्र में नए रास्ते खुलेंगे। प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के युवाओं से देश को मजबूत बनाने के लिए रक्षा के क्षेत्र में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करने का आह्वान किया।
जब देश नई सोच, नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ता है तो उसकी व्यवस्थाएं भी नई सोच के अनुसार बदलने लगती हैं। प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब एयरो इंडिया ‘मात्र एक प्रदर्शनी’ और ‘बिक्री के लिए भारत के लिए एकल खिड़की हुआ करता था, लेकिन अब धारणा बदल गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एयरो इंडिया भारत की ताकत है और केवल एक प्रदर्शनी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह न केवल रक्षा उद्योग के दायरे को प्रदर्शित करता है बल्कि भारत के आत्मविश्वास को भी प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलताएं उसकी क्षमताओं की गवाह हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तेजस, आईएनएस विक्रांत, सूरत और तुमकुर में उन्नत विनिर्माण सुविधाएं, आत्मनिर्भर भारत की क्षमता हैं जिसके साथ दुनिया के नए विकल्प और अवसर जुड़े हुए हैं।
सुधारों की मदद से हर क्षेत्र में लाई गई क्रांति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का नया भारत न तो कोई अवसर गंवाएगा और न ही इसमें किसी तरह के प्रयास की कमी की जाएगी। उन्होंने रेखांकित किया कि जो देश दशकों तक सबसे बड़ा रक्षा आयातक हुआ करता था, उसने अब दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात करना प्रारम्भ कर दिया है।
पिछले 8-9 वर्षों में रक्षा क्षेत्र के परिवर्तन का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2024-25 तक रक्षा निर्यात को 1.5 बिलियन से 5 बिलियन तक ले जाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां से भारत सबसे बड़े रक्षा विनिर्माण देशों में शामिल होने के लिए तेजी से कदम उठाएगा और हमारे निजी क्षेत्र और निवेशक इसमें बड़ी भूमिका निभाएंगे। प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र से रक्षा क्षेत्र में निवेश करने का आह्वान किया जो उनके लिए भारत ही नहीं, अपितु कई अन्य देशों में भी नए अवसरों का सृजन करेगा।
श्री मोदी ने अमृत काल में भारत की तुलना एक लड़ाकू जेट पायलट से करते हुए कहा कि आज का भारत तेज सोचता है, दूर तक सोचता है और शीघ्रता से निर्णय लेता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो डरता नहीं है बल्कि नई ऊंचाइयों पर जाने के लिए उत्साहित है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है, चाहे वह कितनी भी ऊंची उड़ान भर ले, चाहे उसकी गति कितनी भी हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एयरो इंडिया की गगनभेदी गर्जना भारत के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के संदेश को प्रतिध्वनित करती है। उन्होंने उल्लेख किया कि पूरी दुनिया भारत में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के लिए किए गए सुधारों पर ध्यान दे रही है और एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए उठाए गए विभिन्न पहलों को कार्यान्वित किया गया है जो वैश्विक निवेश के साथ-साथ भारतीय नवाचार का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा और अन्य क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में किए गए सुधारों और उद्योगों को लाइसेंस जारी करने की प्रक्रियाओं के सरलीकरण के साथ-साथ उनकी वैधता को भी बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में विनिर्माण इकाइयों के लिए कर लाभ बढ़ाए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां मांग है, विशेषज्ञता के साथ-साथ अनुभव भी है, वहां उद्योग का विकास स्वाभाविक है। उन्होंने उपस्थित लोगों को आश्वासन दिया कि इस क्षेत्र को मजबूत करने के प्रयास और भी मजबूत तरीके से आगे बढ़ते रहेंगे।
अपने संबोधन में, रक्षा मंत्री ने दुनिया के राजनीतिक और आर्थिक मानचित्र पर भारत का मार्गदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की और देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने एयरो इंडिया को उसी संकल्प की अभिव्यक्ति बताया।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अपने व्यापार अनुकूल वातावरण और लागत-प्रतिस्पर्धात्मकता के कारण एक आशाजनक विनिर्माण गंतव्य बन गया है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह अगले 4-5 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इस साल भारत की जी-20 अध्यक्षता भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के बढ़ते कद का प्रतिबिंब है।
रक्षा मंत्री ने भारतीय रक्षा क्षेत्र की विकास गाथा पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पिछले कुछ वर्षों में एक लंबा सफर तय कर चुका है और पूरे उत्साह और समर्पण के साथ राष्ट्र को सशक्त बनाने के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने एयरो इंडिया को उन स्तंभों में से एक बताया, जिसने रक्षा क्षेत्र को मजबूत किया है और इसे एक नई पहचान दी है।
राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया के इस 14वें संस्करण में भाग लेने वाले कई देशों के रक्षा मंत्रियों, सेवा प्रमुखों, सीईओ, अधिकारियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि पांच दिवसीय कार्यक्रम के दौरान भारत और विदेश के 800 से अधिक प्रदर्शक अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने भारी भागीदारी को भारत की उभरती व्यावसायिक क्षमता में घरेलू और वैश्विक व्यापार समुदाय के एक नए विश्वास का प्रमाण बताया। उन्होंने प्रतिभागियों से रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा का हिस्सा बनने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्री ने इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की भी सराहना की। उन्होंने कर्नाटक को औद्योगीकरण में अग्रणी और भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने वाले सबसे प्रमुख राज्यों में से एक बताया।
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी उपस्थित थे ।