पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया । शांति भूषण कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन से भी जुड़े रहे थे । साल 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें देश का कानून मंत्री बनाया गया था। आपातकाल के दौरान उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया था । बाद के दौर में भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई आंदोलनों में शिरकत की । शांति भूषण को संविधान विशेषज्ञ के तौर पर भी जाना जाता था । वो पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे ।
शांति भूषण कांग्रेस (ओ) और बाद में जनता पार्टी के सदस्य रहे थे । वे अपने राजनीतिक जीवन के दौरान राज्यसभा सांसद भी थे । वे 1980 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और 1986 में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था। वे अपने बेटे प्रशांत भूषण के साथ 2012 में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। बाद में वे पार्टी से अलग हो गए थे ।
पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ सिस्टम में बदलाव की मांग की थी। याचिका में गुहार की गई थी कि रोस्टर के तहत मामलों को किसी पीठ के पास भेजने का सिद्धांत व प्रक्रिया तय की जानी चाहिए। शांति भूषण ने यह याचिका अपने बेटे व वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की थी।