बृजेश शर्मा मंटू (संवाददाता)
डाला । सरकार कहती है कि उसकी योजना तभी सफल होगी जब उस योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा। मगर अंतिम व्यक्ति किस हालात व मुसीबतों से जूझ रहा है यह योजना लागू कराने वालों को पता ही नहीं। विकास खंड चोपन के ग्रामसभा पनारी के अंतर्गत स्थित मंगरहवा टोला की 10 जनवरी की घटना वाकई झकझोर देने वाली घटना है । मंगरहवा गांव के निवासी हीरालाल पुत्र दशरथ खरवार का मासूम इलाज के अभाव में मां की गोद दम तोड़ दिया ।
अति पिछड़ा गांव मंगरहवा में पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है । आज भी लोग पगडंडियों का सहारा लेकर आते-जाते हैं । रास्ता न होने से न गांव में एम्बुलेंस जा पाती है और न सही समय पर घटना के बाद पुलिस व अधिकारी ।
मासूम की मौत को लेकर हीरालाल और उनकी पत्नी सुवासी देवी ने बताया कि उनके एक साल के बेटे पंकज को तेज बुखार हो गया था । गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पायेगा इसे देखते हुए हीरालाल व सुवासी काफी परेशान थे । बच्चे की स्थिति बिगड़ते देख मां-बाप ने स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से सम्पर्क किया लेकिन वह भी रास्ता खराब होने का हवाला देकर आने से मना कर दिया और ग्रामसभा बेलहत्थी के आंमी बस्ती तक पुत्र को लाने के लिए कहा। जिसके बाद मां-बाप बच्चे को लेकर आंमी बस्ती में अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे ।
मां सुवासी देवी ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर द्वारा कड़ाके की ठंड में बीमार बच्चे को नाले के बहते पानी से स्नान करा दिया और फिर इंजेक्शन लगाते हुए एक सिरप को पिलाया जिसे पीते ही मासूम की मौत हो गई। सुवासी ने बताया कि बच्चे की मौत होते ही झोलाछाप डॉक्टर मौके से फरार हो गया। विडंबना देखिये बच्चे की मौत के बाद मां-बाप किसी अधिकारी को अपना दुखड़ा बता भी नहीं सके और घर पर आंसू बहा रहे हैं।
आपको बतादें कि हीरालाल खरवार की यह कोई पहली घटना नहीं है, गांव में ऐसे तमाम लोग हैं जो बेहतर चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ देते हैं।
हरदेव सिंह, रामअवतार, बाबूलाल, दिलवंती देवी कलावती देवी, आश सिंह, बुधई का कहना हैं कि गांव में यदि सड़क निर्माण हुआ होता तो एंबुलेंस आ जाती और मासूम को बेहतर इलाज मिल जाता ।