किंचित बालमन " पुस्तक में बच्चों के गर्भ से लेकर 14 वर्ष तक के सर्वांगीण विकास की है कहानी
किंचित बालमन " पुस्तक बच्चों के गर्भ से लेकर 14 वर्ष तक के सर्वांगीण विकास की कहानी है, जिसमें संज्ञानात्मक मनोविज्ञान से लेकर तंत्रिका विज्ञान का संपूर्ण वर्णन है।

sonbhadra
9:09 PM, November 16, 2025
विजय कुमार पटेल (संवाददाता)
किंचित बालमन " पुस्तक बच्चों के गर्भ से लेकर 14 वर्ष तक के सर्वांगीण विकास की कहानी है, जिसमें संज्ञानात्मक मनोविज्ञान से लेकर तंत्रिका विज्ञान का संपूर्ण वर्णन है। जिसका बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है । यह पुस्तक शिक्षा में किये गये तंत्रिका विज्ञान एवं बाल मनोविज्ञान के आधुनिकतम शोधों पर आधारित है । यह पुस्तक एकदम सामान्य एवं हिंदी भाषा में लिखी गई है जो छात्र- शिक्षक के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी सर्वसुलभ हो। माता-पिता एवं शिक्षक का बच्चों से किस प्रकार परस्पर जुड़ाव एवं पारस्परिक अंतर्क्रिया होना चाहिए, इस तथ्य पर यह पुस्तक संपूर्ण रूप से प्रकाश डालती है। यह पुस्तक वास्तविक तथ्य एवं आधुनिक स्रोतों एवं साक्ष्य पर आधारित है। इसमें आधुनिकतम शोध समाहित किए गए हैं जो बच्चे के सर्वांगीण विकास से संबंधित है । यह पुस्तक भाषा एवं गणित शिक्षण के साथ-साथ बच्चों के सामाजिक सकारात्मक बदलाव की अवधारणा को भी रेखांकित करता है । अपने शैक्षणिक काल में प्राप्त अनुभव, अभिभावकों से वार्तालाप एवं शिक्षा के प्रति ग्रामीण सोच की मान्यता को ध्यान में रख कर यह पुस्तक लिखा गया है । यह पुस्तक जन्म से लेकर, नर्सरी, प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल के बच्चों में शिक्षकों एवं माता-पिता के लिए अत्यंत लाभकारी है । इस पुस्तक में दो बातों पर विशेष बल दिया गया है, एक- बच्चे को समझना। दूसरा- उसके आस-पास के कार्य एवं संरचनात्मक का वातावरण की रचना करना। यह पुस्तक शिक्षक की मानसिक एवं भौतिक तैयारी की विवेचना करने में महत्वपूर्ण कार्य करेगी । इससे बच्चों के मूल रूप से पहचान एवं उनकी विशिष्ट रचनाशीलता को खोजने में सहायता मिलेगी । यह पुस्तक मस्तिष्क की संरचना एवं गतिशीलता के बारे में भी प्रकाश डालता है। यह पुस्तक शिक्षकों को एक संघर्षरत बच्चे विचार के लिए विशेष रूप से प्रक्रिया को चुनने में मदद करेगा। कुछ छात्र इतनी जल्दी और आसानी से पढ़ना कैसे सीख जाते हैं ?जबकि दूसरे बच्चों को इस प्रक्रिया को समझने में इतना कठिनाई एवं अधिक समय क्यों लगता है? छात्र का कौन सा उत्कृष्ट और सरल पाठ कब पढ़ सकते हैं ?,कुछ सरल प्रतीत होने वाले अवधारणाओं को कुछ विद्यार्थियों के लिए समझना इतना कठिन क्यों होता है ?जबकि दूसरे बच्चों की आपको कोई परेशानी नहीं होती है । इन सब का इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है । इस पुस्तक में भाषा, हिंदी भाषा के विकास का इतिहास ,भाषा के कौशल- सुनना, बोलना, पढ़ना ,लिखना सभी का वैज्ञानिक का उदाहरण के आधार पर विश्लेषण किया गया है ।मुझे उम्मीद है की पुस्तक सभी को पसंद आएगी।



