Sonbhadra News : क्या अब भी राजनीतिक चश्मे से करनी होगी जातियों की पहचान - रोहित मिश्रा
हाल के कौशांबी प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर जिस तरह जातिगत द्वेष, ब्राह्मणवाद बनाम अन्य जातिवाद जैसे शब्द उछाले जा रहे हैं,

sonbhadra
10:07 PM, June 18, 2025
जनपद न्यूज़ ब्यूरो
सोनभद्र । हाल के कौशांबी प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर जिस तरह जातिगत द्वेष, ब्राह्मणवाद बनाम अन्य जातिवाद जैसे शब्द उछाले जा रहे हैं, वह केवल एक घटना की प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक सुनियोजित सामाजिक विघटन की ओर संकेत करता है। यह दुःखद है कि एक संवेदनशील मामला, जिसे न्याय की कसौटी पर परखा जाना चाहिए, जो अब जातियों के बीच वैमनस्य का कारण बनता जा रहा है। कहीं समाजवादी पार्टी को ब्राह्मण विरोधी बताया जा रहा है, तो कहीं अन्य पक्षों को दलित विरोधी ठहराया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या हम अब भी राजनीतिक चश्मे से ही जातियों की पहचान करेंगे? क्या न्याय की जगह अब जाति से तय होगा कि कौन अपराधी है और कौन पीड़ित?
उक्त बातें युवा समाजसेवी रोहित मिश्रा ने कौशाम्बी प्रकरण पर फैले जातिवाद क़ो लेकर कही।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज को समझना होगा कि ब्राह्मण किसी दल या पार्टी की कृपा पर जीवित नहीं हैं। हमारी आत्मा वेदों से निकली है, हमारा चरित्र तप से गढ़ा गया है, और हमारा इतिहास किसी घोषणापत्र से नहीं, बल्कि ऋषियों की साधना से लिखा गया है।
ब्राह्मण का अस्तित्व किसी "ब्राह्मण वोट बैंक" में नहीं सिमटा है, बल्कि वह उस चेतना का वाहक है जो समाज को जोड़ता है, समरसता का बीज बोता है। ब्राह्मण का धर्म राजनीति नहीं, नीति है। वह किसी भी जाति को नीचा नहीं देखता, क्योंकि वह जानता है कि समाज एक शरीर है और जातियां उसके अंग कोई आंख है, कोई हाथ है, कोई हृदय, तो कोई मस्तिष्क। आज जरूरत है जातीय जहर घोलने वालों से सावधान रहने की। जो लोग ब्राह्मण विरोध का झूठा विमर्श चलाकर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, वे यह जान लें ब्राह्मण को न तो डराया जा सकता है, न झुकाया।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण कभी सत्ता के पीछे नहीं भागा, सत्ता स्वयं आकर उसके द्वार पर शीश झुकाती रही है। हमारा ध्येय है न्याय, न कि जातीय प्रतिशोध। हमारा मार्ग है विवेक, न कि भीड़तंत्र और हमारी पहचान है संस्कृति, न कि संकीर्ण राजनीति। इसलिए अब वक्त आ गया है कि जातिगत घृणा फैलाने वालों को सिरे से नकारें। यह लड़ाई किसी जाति की नहीं, सच्चाई की है और सच्चाई किसी भी दल से ऊपर होती है। ब्राह्मण की गरिमा को कोई घटा नहीं सकता, क्योंकि वह सदियों से हर तूफान में दीपक की तरह जलता रहा है।