Sonbhadra News : सेटिंग-गेटिंग वाले अस्पतालों पर बरसती है जिम्मेदारों की मेहरबानी, पढ़ें क्या है पूरा माजरा
जिले में अवैध अस्पतालों की भरमार है। इनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि भले ही स्वास्थ्य विभाग की टीम पुरे जिले में जाँच का अभियान चलाए लेकिन सेटिंग-गेटिंग वाले उन हॉस्पिटलों पर कभी जाँच की आंच ही नहीं....

sonbhadra
10:46 AM, October 8, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जिले में अवैध अस्पतालों की भरमार है। इनका नेटवर्क इतना तगड़ा है कि भले ही स्वास्थ्य विभाग की टीम पुरे जिले में जाँच का अभियान चलाए लेकिन सेटिंग-गेटिंग वाले उन हॉस्पिटलों पर कभी जाँच की आंच ही नहीं पड़ती, ऐसे संचालकों पर सीएमओ दफ्तर के जिम्मेदारों का आशीर्वाद है। सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदार मुख्य चिकित्साधिकारी को भ्रामक जानकारी देकर इस खेल को अंजाम दे रहे हैं। वहीं सीएमओ आवास से चंद कदमों की दुरी पर स्थित अवैध अस्पताल पर भी जिम्मेदार मुख्य चिकित्साधिकारी की आँख में धूल झोंक कर अभयदान दे रखा है, जो धड़ल्ले से संचालित होता है।
नोटिस तक सिमित रहती है कार्यवाही -
अति पिछड़े जिले में शामिल जनपद सोनभद्र में फैले अवैध अस्पतालों के नेटवर्क के पीछे सीएमओ कार्यालय में लंबे समय से तैनात कर्मचारियों का शह बताया जा रहा है। कार्रवाई से पहले सूचनाएं लीक होना और कार्रवाई में ढिलाई मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है। चाह कर भी ऐसे अस्पताल संचालकों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। उच्चाधिकारी जब शिकंजा कसते हैं तो ऐसे अस्पताल संचालकों को सीएमओ कार्यालय में तैनात जिम्मेदार नोटिस देकर चुप्पी साध लेते है।
कैसे चलता है नोटिस का खेल -
स्वास्थ्य विभाग की टीम ज़ब किसी हॉस्पिटल पर छापेमारी करती है तो पंजीकृत हॉस्पिटलों को कमियों पर नोटिस जारी कर तय समय में जवाब माँगा जाता है और वहीं अवैध रूप से संचालित हॉस्पिटलों पर कार्यवाही के साथ नोटिस जारी किया जाता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसे नोटिस का कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। वहीं नाम न छापने की शर्त पर निजी हॉस्पिटलों के संचालकों ने बताया कि नोटिस के जवाब के साथ पैसे की डिमांड भी की जाती है और डिमांड पुरी नहीं होने पर हॉस्पिटल बंद करने की धमकी दी जाती है। सूत्रों की मानें तो नोटिस मिलने के बाद जिम्मेदारों द्वारा लगाए गए संविदाकर्मियों के माध्यम से ही उन्हें पैसा दिया जाता है, जो तय समय तक पैसा दे देता है वह कार्यवाही की जद में नहीं आता है, और जो पैसा नहीं दे देता है उसका हॉस्पिटल तत्काल सीज कर दिया जाता है।