Sonbhadra News : नीति आयोग की नीति पर ग्रामीणों ने खड़े किए सवाल, कहा- उनके बच्चों को क्यों रखा गया परीक्षा से वंचित
जिन स्कूलों में टैब विधि से पढ़ाई कराई जा रही है वहां बच्चों में कितनी निपुणता आयी इसके लिए शुक्रवार को PAL LAB परीक्षा आयोजित की गई । 3 मार्च, 5 व 7 मार्च को PAL LAB परीक्षा का आयोजन किया गया।

PAL LAB परीक्षा देते बच्चे
Whatsapp चैनल फॉलो करे !शान्तनु कुमार/आनंद चौबे/राहुल सिंह
★ ओएमआर शीट पर लिया गया परीक्षा
★ टैब परीक्षा पर उठने लगे सवाल, सिर्फ 33 बच्चों का ही क्यों लिया गया परीक्षा, ग्रामीण ख़फ़ा
★ स्कूल में नामांकन ज्यादा होने के वावजूद सिर्फ 33 बच्चों का ही लिया गया परीक्षा
★ संस्था के लोगों द्वारा लिया गया परीक्षा
★ ओएमआर शीट व पेपर ले कर चले गये संस्था के लोग
★ बड़ा सवाल, आखिर कैसे पता चलेगा बच्चों में निपुणता का राज
सोनभद्र में नीति आयोग द्वारा बच्चों में निपुणता लाने के लिए पूरे जिले में 70 स्कूलों में टैब से पढ़ाई कराई जा रही है । सोनभद्र में टैब की पढ़ाई CSSL संस्था द्वारा चलाई जा रही है । जिन स्कूलों में टैब विधि से पढ़ाई कराई जा रही है वहां बच्चों में कितनी निपुणता आयी इसके लिए शुक्रवार को PAL LAB परीक्षा आयोजित की गई । 3 मार्च, 5 व 7 मार्च को PAL LAB परीक्षा का आयोजन किया गया।
जनपद न्यूज live की टीम ने टैब परीक्षा को लेकर ऐसे ही कुछ विद्यालयों का दौरा कर वहां चल रही व्यवस्था को देखा और टीचरों से बातचीत की ।
टैब से पढ़कर बच्चे कितना कुछ सीख पाएं हैं इसी को लेकर शुक्रवार को कक्षा 8 की परीक्षा आयोजित किया गया था। जिसके लिए CSSL संस्था द्वारा बच्चों को पेपर व ओएमआर शीट दिया गया था ।
स्कूल टीचरों ने बताया परीक्षा की पूरी विधि
कम्पोजिट विद्यालय पसहीकला की प्रधानाध्यापिका बृज बाला सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय में कक्षा 8 में कुल 71 बच्चे नामांकित हैं लेकिन 33 बच्चे परीक्षा में बैठे हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षा के बाद पेपर और ओएमआर शीट लेकर संस्था चली जाएगी ।
वहीं पीएम श्री कम्पोजिट विद्यालय हिनौता के प्रधानाध्यपक आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि CSSL संस्था ने 50 टेबलेट बच्चों में दे रखा है और हर दिन बच्चे एक पीरियड टैब से पढ़ते हैं । जिसमें बच्चों को गणित, साइंस और हिंदी टैब से पढ़ाते हैं। उसी की आज परीक्षा ली जा रही है कि टैब से बच्चे कितना ज्ञान अर्जित कर सके हैं । प्रधानाध्यापक ने बताया कि वैसे तो उनके स्कूल में कक्षा 8 में कुल 50 बच्चे नामांकित है लेकिन संस्था के नियम के अनुसार 33 बच्चों का ही परीक्षा लिया जाता है । उसके तहत आज विद्यालय में 32 बच्चे उपस्थित हुए थे जिनकी परीक्षा ली जा रही है । उन्होंने बताया कि परीक्षा के बाद पेपर और ओएमआर शीट संस्था ले कर चली जाती है।
परीक्षा को लेकर उठ रहे सवाल
PAL LAB परीक्षा में जिस तरह से संस्था द्वारा सिर्फ 33 बच्चों का परीक्षा लिया गया, इसे लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं । लोग सवाल उठाने लगे हैं कि जब स्कूल में बच्चों का नामांकन ज्यादे हैं और सभी बच्चे टैब से पढ़ाई की है तो आखिर उन बच्चों में सिर्फ 33 बच्चों का ही चयन कर परीक्षा क्यों लिया गया । आखिर बाकी बच्चों की परीक्षा क्यों नहीं लिया गया । क्या वे बच्चे पूर्ण रूप से परीक्षा देने में सक्षम नहीं थे या फिर परीक्षा को एक दिन में ही खत्म करना था तो 33 बच्चों का एक मानक बना लिया गया ।
पूरे परीक्षा सिस्टम को लेकर लोग कर रहे चर्चा
टैब से हो रही परीक्षा को लेकर अब लोग तरह-तरह की चर्चाएं करने लगे हैं । लोगों का कहना है की परीक्षा लेने वाली संस्था खुद परीक्षा करा रही है और परीक्षा का पेपर और ओएमआर शीट भी खुद लेकर चली जाती है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि टैब से पढ़कर बच्चों में कितना विकास हुआ, बच्चे कितना सीख पाए यह आखिर कैसे पता चलेगा । कोई संस्था अपनी किरकिरी क्यों कराएगी। ऐसे में प्रशासन को इस पूरे PAL LAB परीक्षा पर खुद की एक निगरानी टीम बनानी चाहिए थी जो जाकर पूरे परीक्षा पर नियंत्रण रखती । क्योंकि अब तक स्कूल के टीचरों का बच्चों को बुलाने तक की ही जिम्मेदारी दी गयी है, उनका परीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। संस्था से भेजे गए लोग ही परीक्षा ले रहे थे । लोगों का मानना है कि यदि टैब परीक्षा की ओएमआर शीट अन्य किसी के द्वारा जांची जाती तो शायद सही परिणाम सामने आते । और बच्चों की सही गुणवत्ता या निपुणता सामने आ पाती ।लेकिन यहां परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था ही परीक्षा का परिणाम घोषित करेगी इसे लोग ठीक नहीं मान रहे । कुछ लोगों का कहना है कि वह इसे लेकर जिला प्रशासन से मुलाकात करेंगे और उनसे शिकायत भी करेंगे कि उनके बच्चों को परीक्षा से वंचित क्यों किया गया । आखिर उनके बच्चों में क्या कमी थी यह जानकारी संस्था द्वारा उन्हें पहले क्यों नहीं दी गयी ।
बहरहाल संस्था द्वारा जिस तरह से परीक्षा का आयोजन किया गया और सिर्फ 33 बच्चों का ही मानक रखा गया, यह ठीक उसी तरीके से है जैसे चावल की एक दाने से पूरे चावल पकने का अंदाजा लगाया जाता है । लेकिन जिला प्रशासन को इस पूरे सिस्टम पर फिर से गौर करने की जरूरत है । क्योंकि सोनभद्र आकांक्षी जनपद में शामिल है और यहां नीति आयोग शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में जुटी हुई है ताकि जनपद सोनभद्र आकांक्षी जनपद की सूची से जल्द बाहर निकलने सके । लेकिन जिस तरह से सोनभद्र में बच्चों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है।

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