Sonbhadra News : सिस्टम ने की बुजुर्ग की 'हत्या', अपने जिंदा होने के लिए दर-दर भटक रहा वृद्ध
आपने बॉलीवुड की कागज फिल्म तो देखी ही होगी, जिसमें एक जिंदा आदमी को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद वह शख्स अपने आप को जिंदा साबित करने के.....

बुजुर्ग मानिकचंद....
sonbhadra
8:13 PM, August 28, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
• खुद को जिंदा साबित करने के लिए एक वर्ष से दर-दर भटक रहा वृद्ध
सोनभद्र । आपने बॉलीवुड की कागज फिल्म तो देखी ही होगी, जिसमें एक जिंदा आदमी को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद वह शख्स अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए सालों तक विभागों के चक्कर लगाता रहा। इस फिल्म में उस शख्स का रोल पंकज त्रिपाठी निभा रहे थे। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सामने आया है, यहां एक 79 वर्ष के बुजुर्ग को विभाग ने कागजों में मृत घोषित कर दिया है। उसके घरवाले परेशान हैं। वृद्ध अपने जिंदा होने की गवाही खुद दे रहे हैं साथ ही बीते एक साल से तमाम प्रशासनिक अफसरों की चौखट पर जाकर यहीं गुहार लगा रहा है लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही, वो सरकारी दस्तावेज में मृतक करार है। इस वजह से वृद्ध को एक साल से किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है। आज बुजुर्ग ने कलेक्ट्रेट पहुंच जिलाधिकारी से मुलाक़ात कर खुद जो जिंदा साबित करने की गुहार लगाया है।
दर-दर भटक रहा वृद्ध -
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर घोरावल ब्लॉक के गोबरिया में रहने वाली वृद्ध मानिक चंद सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं साथ ही सब के आगे खड़े होकर गुहार भी लगा रहे हैं कि साहब मैं जिंदा हूं...मुझे पहचानिए उनके एक हाथ में आधार कार्ड और एक हाथ में पेंशन बुक थी जबकि गांव के प्रधान भी कह रहे हैं कि मानिक चंद जिंदा है, लेकिन सिस्टम है कि मानने को तैयार ही नहीं। आज अपने पुत्र के साथ कलेक्ट्रेट पहुँचे मानिक चंद ने जिलाधिकारी से मुलाक़ात खुद को जिंदा घोषित कर बंद वृद्धा पेंशन शुरु करने की मांग की है।
12 महीने से रुकी पेंशन -
बुजुर्ग मानिक चंद ने कहा कि "पेंशन बुढ़ापे का सहारा होता है लेकिन उनका पेंशन 12 महीने से रुका हुआ है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को खुद को जिंदा होने के सबूत भी दिए लेकिन अफसर अनदेखी कर रहे हैं। बुजुर्ग का कहना है कि जबतक दस्तावेजों में उसे जिंदा नहीं घोषित किया जाएगा, तब तक उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी।"
गाँव के सेक्रेटरी को बताया जिम्मेदार -
बुजुर्ग के पुत्र अनिल ने कहा कि "79 वर्ष की उम्र में उन्हें अपने वृद्ध पिता को लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, कोई भी अधिकारी उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। कागजों में गाँव के सेक्रेटरी शंकर यादव ने उनके पिटा को मृत घोषित तो कर दिया लेकिन अब उसमें सुधार करनेनके बजाय हिलहवाली कर रहे हैं और इसको लेकर उनके बुजुर्ग पिता का वृद्धा पेंशन तक रुक गया है। उनके पिता सांस के मरीज हैं और उनका दवा वृद्धा पेंशन के सहारे दवा इलाज हो रहा था लेकिन अब आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।"