Sonbhadra News : सरकार के मुंह पर तमाचा... गुस्साए ग्रामीणों ने चंदा जुटाकर बनाई 150 मीटर सड़क
रॉबर्ट्सगंज से एक ऐसी खबर सामने आई है जो न सिर्फ सरकारी तंत्र पर सवाल उठाती है, बल्कि आम जनता के हौसले और एकजुटता की मिसाल को भी दर्शाती है। रॉबर्ट्सगंज विकास खंड अंतर्गत नई गाँव के ग्रामीणों ने......

sonbhadra
11:40 PM, September 18, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
• ग्रामीणों ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के झूठे वादों को दिखाया आईना
• युवाओं ने कहा - सोनभद्र की सड़क से दिल्ली तक भीख मांगकर बनाएंगे अपने गाँव को सड़क
• अब जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के आगे हाँथ नहीं फैलाएंगे नई के ग्रामीण
सोनभद्र । रॉबर्ट्सगंज से एक ऐसी खबर सामने आई है जो न सिर्फ सरकारी तंत्र पर सवाल उठाती है, बल्कि आम जनता के हौसले और एकजुटता की मिसाल को भी दर्शाती है। रॉबर्ट्सगंज विकास खंड अंतर्गत नई गाँव के ग्रामीणों ने शासन और प्रशासन के झूठे वादों से नाराज होकर खुद ही सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया और आपस में चंदा इकट्ठा कर और श्रमदान कर 150 मीटर सड़क का निर्माण खुद ही कर डाला। वहीं युवाओं ने हौसला दिखाते हुए कहा कि अब उन्हें समझ में आ गया है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सड़क की उम्मीद करना बेमानी है, उन्हें भी पं0 मदन मोहन मालवीय की तरह भिक्षाटन कर अपने गाँव की सड़क का निर्माण करना होगा।
'नई' के लिए बरसात बनकर आती है मुसीबत -
एक तरफ जहां बरसात ने पूरे प्रदेश में गर्मी से राहत दी है, वहीं दूसरी ओर जनपद सोनभद्र के गाँवों के लिए ये मौसम मुसीबत बनकर आया है। आजादी के 78 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी जनपद सोनभद्र के कुछ गांव बुनियादी सुविधाओं से अब तक वंचित हैं। उन्हीं में से एक है रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला नई गांव, जहां आज भी पक्की सड़क सिर्फ एक सपना बना हुआ है लेकिन ग्रामीणों के बुलंद हौसले से यह सपना भी जल्द साकार होने की उम्मीद है।
पक्की सड़क बना सपना -
इस दौरान गाँव के ही 80 वर्षीय बुजुर्ग सकीराम ने बताया कि "उनके लिए तो पक्की सड़क एक सपना है। गर्मी और ठंडी में तो किसी तरह सड़क पर आवाजाही हो जाती है लेकिन हर बरसात उनके गाँव के लिए मुसीबत बनकर आती है और उनलोगों का घरों से निकलना भी दुश्वार हो जाता है।"
मरीजों को खटिया पर और स्कूली बच्चों को कंधों पर ले जाना पड़ता था गाँव के बाहर -
वहीं गुरुगोपाल सिंह कुशवाहा, मनोज सिंह, देव मौर्या, सत्येंद्र कुमार आदि ग्रामीणों ने बताया कि "बरसात के समय हालात इतने खराब हो जाते हैं कि किसी को बीमार होने पर खटिया पर लादकर गांव से बाहर ले जाना पड़ता है, क्योंकि एम्बुलेंस या कोई अन्य वाहन गांव तक नहीं आ पाता। वहीं गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए उनके परिजन उन्हें अपने कंधों पर बिठाकर कीचड़ पार कराते हैं, जिससे उनके लिए पढ़ाई भी एक संघर्ष बन गई है। यहीं नहीं अब तो रिश्तेदार भी यहाँ आने के कतराने लगे हैं। इसलिए अब ग्रामीणों ने खुद ही सड़क निर्माण कराने का बीड़ा उठा लिया है।"
अब तक नहीं हो पाया समाधान -
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि "उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक और जिला स्तर तक अपनी समस्या कई बार रखी है। हर बार केवल आश्वासन मिले, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में गांव का संपर्क पूरी तरह से मुख्य सड़क से टूट जाता है, और यह समस्या साल दर साल बनी रहती है।"
सरकार से सवाल -