Sonbhadra News : सरकारी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत, जिलाधिकारी ने स्कूल चलो अभियान रैली को दिखाई हरी झंडी
जिलाधिकारी ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को स्कूल में नामांकित कराने के साथ ही साथ रोज स्कूल भेजें।उन्होंने कहा कि रोज स्कूल आने से उनका भविष्य बेहतर हो सकता है ।

स्कूली बच्चों को उपहार देते जिलाधिकारी
Whatsapp चैनल फॉलो करे !शान्तनु कुमार
◆ प्रतिदिन बच्चों को स्कूल भेजने की जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से की अपील
◆ मगर बड़ा सवाल टीचरों के समय पर स्कूल पहुंचने व गायब न रहने की भी करनी होगी कोशिश
◆ सरकारी स्कूलों में योग्य टीचर होने के वावजूद खुद के बच्चों को स्कूल में नहीं दिलाते दाखिला
◆ टीचरों की कमी के वावजूद कई अध्यापक दूसरे जगह हैं अटैचमेंट
◆ बद्धजीवियों का मानना है कि सत्र के पहले दिन ही नहीं बल्कि हर दिन बच्चों का करना चाहिए सम्मान
सोनभद्र । मंगलवार को बगुआरी ग्राम पंचायत के गड़ौरा मजरे से जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी अश्विनी सिंह ने स्कूल चलो अभियान और संचारी रोगों के विरुद्ध अभियान को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया । इस अवसर पर जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को स्कूल में नामांकित कराने के साथ ही साथ रोज स्कूल भेजें।जिलाधिकारी ने कहा कि रोज स्कूल आने से उनका भविष्य बेहतर हो सकता है और वह एक सुयोग्य , शिक्षित तथा समर्थ नागरिक बन सकते हैं। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं ऑपरेशन कायाकल्प, डीबीटी, नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण, पीएम पोषण योजना के महत्व पर प्रकाश डाला।
टीचरों की उपस्थिति भी बड़ी समस्या
आज से सरकारी विद्यालय के नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है । बच्चों के स्कूल पहुंचते ही टीचरों ने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया । आज बच्चों के किये विशेष भोजन की व्यवस्था भी की गई थी । जिलाधिकारी ने भी आज बच्चों को उपहार भेंट किये । जिस तरह से आज बच्चों का स्वागत सत्कार किया गया उसे देखकर निश्चित तौर पर अभिभावक भी गदगद नजर आ रहे थे लेकिन यदि ऐसा ही माहौल पूरे साल भर स्कूलों में बना रहे तो निश्चित तौर पर सरकारी स्कूल के बच्चे किसी से कम नहीं रहेंगे लेकिन जिस तरह से स्कूलों में टीचरों के गायब रहने व देर से आने की शिकायत मिलती रहती है उस पर भी अधिकारियों को सोचने की जरूरत है । दूर दराज के इलाकों में तो टीचर लंबे समय तक गायब रहते हैं । लेकिन उनका वेतन समय पर निकलता रहता है । वहीं अभी भी ज्यादातर एबीएसए कार्यालयों में टीचरों को लगाकर बाबूगिरी कराई जा रही है, उसे बन्द करना होगा । क्योंकि जब प्रशासन खुद मानती है कि टीचरों की कमी है तो फिर ऑफिसों व एबीएसए कार्यालयों में आखिर टीचरों को अटैच क्यों रखा गया ।
ज्यादातर एआरपी पहले दिन रहे गायब
31 मार्च को जिले के सभी एआरपी का कार्यकाल खत्म हो गया, जिसके बाद बीएसए ने आदेश जारी कर सभी को मुक्त करते हुए कहा था कि वे अपने मूल विद्यालय पर पहुंचे लेकिन अफसोस कि कुछ को छोड़कर सभी एआरपी घरों में आराम फरमाते रहे । ऐसे टीचरों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए । आपको बतादें कि म्योरपुर ब्लाक में एक एआरपी के खिलाफ बीएसए ने कार्यवाही भी की थी, क्योंकि वह पूरे कार्यकाल में अन्य किसी से अपनी जगह रखकर काम करवाया करता था ।
बहरहाल बच्चों के नए सत्र की शुरुआत काफी जोशखरोश के साथ हुआ मगर यह जोश तभी बरकरार रह पायेगा जब अध्यापक अपना पूरा जोश दिखाएंगे । क्योंकि विडंबना यह भी हैं कि सरकारी स्कूल के टीचर इतने योग्य होने के वावजूद खुद के बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाने में हिचकिचाते हैं । बुद्धिजीवियों का मानना है कि यदि टीचर जिस दिन खुद के बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने लगेंगे उस दिन घर - घर जाकर बच्चों को नामांकन के लिए कहना नहीं पड़ेगा, बल्कि लोग देखकर खुद प्रेरित होंगे ।

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