Sonbhadra News : खनन हादसे की मजिस्ट्रेटिव जांच महज दिखावा- विकाश शाक्य
खनन हादसे में मजदूरों के मौत पर प्रचलित मजिस्ट्रेटिव जाँच सिर्फ दिखावा । जिलाधिकारी की भूमिका संदिग्ध होने की स्थिति में अपर जिलाधिकारी न्यायिक से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।

sonbhadra
8:43 PM, November 23, 2025
० उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति न्यायमूर्ति के अध्यक्षता में बने न्यायिक जांच कमेटी- मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
० संयुक्त जांच कमेटी के सभी अधिकारी दोषी
सोनभद्र । खनन हादसे में मजदूरों के मौत पर प्रचलित मजिस्ट्रेटिव जाँच सिर्फ दिखावा । जिलाधिकारी की भूमिका संदिग्ध होने की स्थिति में अपर जिलाधिकारी न्यायिक से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। मा० उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में विधिक पहलुओं को समाहित करते हुए बगैर प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव के निष्पक्ष जांच हेतु कमेटी बनाने के लिए मुख्यमंत्री को लिखें गए पत्र के हवाले से विकाश शाक्य ने कही है।
श्री शाक्य ने बताया कि मे० कृष्णा माईनिंग में खनन हादसे के पूर्व ही ऋतिशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया OA 1050 / 2024 NGT मे तथ्य और साक्ष्य के साथ दाखिल किया गया था कि कृष्णा माईनिंग अत्यधिक गहरी भूमि भू-गर्भ जल स्तर के नीचे खतरनाक तरीके से खनन करते हुए पर्यावरण को क्षति पहुंचाया जा रहा है तथा भारी विस्फोटकों का प्रयोग किया जा रहा है। NGT के आदेश दिनांक 9 अगस्त 2024 के क्रम में जिलाधिकारी ने दिनांक 30 अक्टूबर 2024 को प्रभागीय वनाअधिकारी, उप जिला अधिकारी ओबरा, खान सुरक्षा निदेशक वाराणसी, प्रभारी अधिकारी भूत तत्व एवं खनिकर्म विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी एवं ज्येष्ट खान अधिकारी की संयुक्त जांच कमेटी बनाई थी। संयुक्त जांच कमेटी के इन सभी अधिकारियों ने रिपोर्ट दी है कि कृष्णा माईनिंग में बेंच बनाकर खदान मे वेंच बना हुआ है अत्यधिक भारी ब्लास्टिंग नहीं पाया गया मजदूरों को हेलमेट, मास्क, शूज और सेफ्टी बेल्ट दिया जाता है इसी जांच को जिलाधिकारी ने पुष्ट करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा के साथ NGT को रिपोर्ट सोपा था जो सफेद झूठ था,परिणाम स्वरूप बड़ी तादाद में मजदूरों की मौत हुई है।
विधिक पहलुओं के हवाले से एडवोकेट विकाश शाक्य ने बताया कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमयन) अधिनियम 1957 संशोधित 2023 में खनन क्षेत्र की निगरानी के लिए लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और उप जिलाधिकारी की भी जिम्मेदारी तय की गई है। कृष्णा माईनिंग द्वारा राज्य सरकार की जमीनों पर अवैध खनन करने का आरोप भी पुष्ट हुआ है। खनन गतिविधि की रिपोर्ट और कार्यवाही करने का विधिक जिम्मेदारी थी। खतरनाक स्थिति में ई०सी० शर्तों के विपरीत संचालित कृष्णा माईनिंग की कोई भी रिपोर्ट लेखपाल, राजस्व निरीक्षक द्वारा नहीं दी गई उपजिलधिकारी को भी खनन स्थलों का भौतिक सत्यापन किया जाने का विधिक दायित्व है परंतु ऐसा नहीं किया गया।यह प्रशासन और खनन कर्ता के आपसी गठजोड़ उजागर करता है।
उन्होंने कहा कि खनन हादसा की जांच खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमयन) अधिनियम 1957 संशोधित 2023
धात्विक खान विनियमन 1961 एवं रेगुलेशन 124 (6)164 (1b) के उल्लंघन का भौतिक एवं कानूनी पहलुओं पर भौतिक सत्यापन माइंस एक्ट 1952 के विधिक विश्लेषण एवं घटनास्थल पर अनुपालन श्रमिक कानून सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020 आदि कानून पर केंद्रित होकर करने और दोषियों को चिन्हित करने हेतु बगैर प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव के निष्पक्ष जांच के लिए मान्य उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ति के अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच करने के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया है उत्तर प्रदेश सरकार अगर वर्तमान में मजिस्ट्रेटिव जांच निरस्त कर मांग के अनुरूप कमेटी नहीं बनती है तो मामला उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा।



