Sonbhadra News : 11 लाेगों से शुरू हुई थी कांवड़ यात्रा, आज लाखो में आते हैं कांवड़िए
शिवद्वार में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ सन 1986 में हुआ। नगर के कुछ प्रबुद्धजनों ने विचार विमर्श कर इस कांवड़ यात्रा का बीजारोपण किया।

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8:51 PM, July 14, 2025
राजकुमार गुप्ता (संवाददाता)
घोरावल (सोनभद्र) । शिवद्वार में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ सन 1986 में हुआ। नगर के कुछ प्रबुद्धजनों ने विचार विमर्श कर इस कांवड़ यात्रा का बीजारोपण किया। सर्वप्रथम डा सुग्रीव पांडेय बच्चा, वीरेंद्र कुमार उमर वैश्य, घनश्याम दास केडिया, द्वारिका प्रसाद खेमका, माता प्रसाद रौनियार, लवकुश उमर, विजय उमर, सरजू विश्वकर्मा, श्यामा विश्वकर्मा, सुनील उमर, हरिदास पटेल, जयजय लाला समेत ग्यारह श्रद्धालुओं ने मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के बरिया घाट से रविवार को कांवड़ में गंगाजल भरकर 67 किलोमीटर की कठिन यात्रा पूर्ण कर श्रावण मास के अंतिम सोमवार को शिवद्वार स्थित शिवमंदिर में भगवान शिवशंकर का जलाभिषेक किया। (अब इन लोगों में से तीन चार कावरिया इस लोक में नही हैं)। दर्जन भर कांवड़ यात्रियों द्वारा शुरू की गई यह पवित्र यात्रा आज वटवृक्ष का रूप धारण कर चुकी है औऱ लाखो की संख्या में कांवड़िया भगवान आशुतोष का श्रावण मास में जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद उसके अगले वर्ष कुछ और संख्या बढ़ी, आज कारवां बढ़ता चला गया। शिवद्वार में जलाभिषेक की शुरुआत करने वाले कांवरियों में अभी तक लगातार वीरेंद्र कुमार उमर वैश्य बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते आ रहे हैं। सन 1991 से सोनभद्र जिले के विजयगढ़ के रामसरोवर से कावर यात्रा शिवद्वार के लिए प्रारम्भ हुई। यह सिलसिला अब अगण्य हो गया है। श्रद्धालु कावर लेकर श्रावण माह मे जलाभिषेक कर रहे हैं।
कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
शिवद्वार मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश गिरि व रामसूचित गिरी ने बताया कि यहां दर्शन पूजन करने वाले भक्तों की भगवान शिवशंकर हर मनोकामना पूर्ण करते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।यहां उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों के साथ ही मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, दिल्ली समेत विभिन्न स्थानों से भक्तगण उमामहेश्वर की दिव्य प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं।श्रावण मास में यहां एक महीने का मेला लगता है, जिसमें हजारों कांवड़िए भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि और वसंत पंचमी के पर्व पर भी यहां परंपरागत मेला आयोजित किया जाता है।