Sonbhadra News : टीबी मरीजों को सरकार का दीवाली तोहफा, दोगुना किया पोषण भत्ता
टीबी मरीजों के लिए खुशखबरी है, अब उनका पोषण भत्ता दोगुना कर दिया गया है। भारत सरकार ने इसका आदेश जारी कर दिया है। पर्याप्त पोषण सहायता सुनिश्चित करने तथा टीबी से संबंधित बीमारी और मृत्यु-दर को कम....

sonbhadra
3:10 PM, October 15, 2024
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
• ₹500 की जगह ₹1000 हर माह टीबी मरीजों मिलेगा भत्ता
• टीबी मरीजों के इलाज की दर बढ़ेगी, मृत्यु दर घटेगी
सोनभद्र । टीबी मरीजों के लिए खुशखबरी है, अब उनका पोषण भत्ता दोगुना कर दिया गया है। भारत सरकार ने इसका आदेश जारी कर दिया है। पर्याप्त पोषण सहायता सुनिश्चित करने तथा टीबी से संबंधित बीमारी और मृत्यु-दर को कम करने के उद्देश्य से सरकार ने निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के माध्यम से पोषण सहायता की राशि को 500 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह कर दिया है। 1 नवंबर से नई व्यवस्था लागू की जाएगी, अब हर तीन-तीन माह पर एकमुश्त किस्त सीधे मरीज के खाते में भेजी जाएंगी।
सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार ने बताया कि "अप्रैल 2018 से निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत सभी टीबी रोगियों को 500 रुपये प्रति माह प्रदान किए जा रहे हैं। यह वृद्धि एक नवंबर, 2024 से लागू हो जाएगी और सभी नए लाभार्थियों के साथ-साथ प्रभावी तिथि के बाद मिलने वाले लाभों पर भी लागू होगी। इस राशि को 3,000 रुपये की दो बराबर किस्तों में दिया जाएगा, जिसमें 3,000 रुपये का पहला लाभ निदान के समय अग्रिम के रूप में दिया जाएगा और 3,000 रुपये का दूसरा लाभ उपचार के 84 दिन पूरे होने के बाद दिया जाएगा। जिन लाभार्थियों के उपचार की अवधि 6 महीने से अधिक है, उन्हें 1,000 रुपये प्रति माह का नया लाभ दिया जाएगा।"
कुपोषण से बढ़ता है, टीबी का जोखिम -
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ0 आर0जी0 यादव ने बताया कि "कुपोषण और टीबी में दो तरफा संबंध हैं। कुपोषण से टीबी रोग के विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है, जबकि टीबी के कारण ऊतक टूटने के कारण कुपोषण की स्थिति और खराब हो जाती है। कुपोषण से टीबी का जोखिम बढ़ता है। टीबी से कमजोरी बढ़ती है, वजन घटता है, मरीज की तबीयत भी बिगड़ जाती है। बेहतर पोषण से टीबी मरीजों की मृत्यु-दर में कमी लाने में मदद मिल रही है टीबी रोगियों में कुपोषण को दूर करने के लिए उपचार के प्रति सजग रहना अति आवश्यक है जिससे मृत्यु-दर कम होती है और दीर्घकालिक उपचार के परिणाम बेहतर होते हैं। उन्होंने कहा कि जनपद में लगभग 2200 मरीजों का इलाज चल रहा है, जहाँ सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पताल भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने में अग्रसर हैं।"