Sonbhadra News : चक्रवाती तूफान 'मोंथा' ने अन्नदाता की डुबोई मेहनत, सरकार से मदद की आस में किसान
बंगाल की खाड़ी से उठे मोंथा तूफान ने किसानों पर कहर बनकर टूटा है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। इस तूफान ने सोनभद्र में तबाही मचा दी है। तूफान के कारण पांच दिनों तक हुई आफत की बारिश ने...

बर्बाद हुई फ़सल को हटाते किसान.....
sonbhadra
5:50 PM, November 2, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । बंगाल की खाड़ी से उठे मोंथा तूफान ने किसानों पर कहर बनकर टूटा है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। इस तूफान ने सोनभद्र में तबाही मचा दी है। तूफान के कारण पांच दिनों तक हुई आफत की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है, कुछ दिन पहले तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने हजारों हेक्टेयर में लगी धान के साथ अन्य फसलों को बर्बाद कर दिया है।आफत की बारिश ने जहाँ किसानों के खेतों में खड़ी धान की फसलों को नुकसान पहुंचाया है, वहीं खेतों में काटकर पसारी गयी धान की फसलों को भी बर्बाद कर दिया है, इससे किसानों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। कर्ज-उधार लेकर खरीफ फसल की खेती करने वाले गरीब किसानों के सामने पूंजी की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है।
मोंथा ने किया अच्छी फ़सल होने का सपना चकनाचूर -
आज जनपद न्यूज़ live की टीम ने आज रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र के ईनम, हरिहरपुर, लसड़ी, ओमरी, नरैना, चौकड़ा आदि गाँवों का दौरा कर तूफ़ान से हुए किसानों के नुकसान की जमीनी हकीकत से रूबरू हुई। इस दौरान किसानों की खरीफ की बड़े पैमाने पर खड़ी फसल गिर गई या फिर काटी हुई फ़सल पानी में डूब कर जमने लगी है। इस दौरान जनपद न्यूज़ live की टीम ने पीड़ित किसानों की समस्याएं को सुना। पीड़ित किसानों अमरेश चंद्र शुक्ला, सुरेश चंद्र शुक्ला, बिजेंद्र सिंह, लालबरती सिंह पटेल, कमला सिंह, लसड़ी ग्राम प्रधान राजेश, बच्चा सिंह आदि ने बताया कि इस बार बहुत उम्मीद थी कि अच्छी फसल होगी लेकिन बारिश ने हमारे सपने को चकनाचूर कर दिया है। किसानों का कहना है कि बारिश आधारित एकमात्र धान की फसल ही हमारे जीने का सबसे बड़ा आधार है लेकिन मोंथा तूफान के कहर ने हमसे वह भी छिन लिया। किसानों ने सरकार से फसलों के हुए नुकसान की भरपाई जल्द से जल्द करने के लिए मुआवजा मुहैया कराने की गुहार लगाई है ताकि जो भी सरकारी मदद मिलेगी उससे दूसरे फसलो को उपजाने में लगाया जा सके और जीवन गुजर बसर हो सके साथ ही किसानों ने केसीसी के कर्ज को भी माफ़ करने की मांग की है, जिससे किसानों को राहत मिल सके।
सरकार से मदद की उम्मीद लगाकर बैठे हैं किसान -
किसान नेता गिरीश पाण्डेय व अन्य किसानों ने बताया कि अब थाली में चावल के साथ-साथ दाल और रोटी का भी संकट गहरा रहा है। किसानों ने बताया कि तेज बारिश के साथ हवा सबसे खतरनाक है, इससे किसी भी फसल के बचने की उम्मीद न के बराबर हो जाती है। इसलिए, बेमौसम बारिश से निराश और परेशान किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए मौसम साफ होने की दुआ कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस बार तूफान ने उनकी सालभर की मेहनत पर पानी फेर दिया, धान और सब्जी की पूरी फसल नष्ट हो चुकी है। किसान अपने खेतों को देखकर बेहद दुखी हैं और परिवार चलाने को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि उनकी पूरी आजीविका खेती पर निर्भर है, लेकिन इस बार की तबाही ने उन्हें आर्थिक संकट में डाल दिया है। किसानों की नजर अब सरकार पर टिकी है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी क्षति का आकलन कर शीघ्र मुआवजा दे, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके, यदि सरकार ने समय पर मदद नहीं की तो अगली फसल बोना भी मुश्किल हो जाएगा।



