Sonbhadra News : वीरांगना रानी दुर्गावती के 461वें बलिदान दिवस पर भाजपाइयों ने किया श्रद्धासुमन अर्पित
भारतीय जनता पार्टी जनजाति मोर्चा मोर्चा द्वारा आयोजित वीरांगना महारानी दुर्गावती के 461वाँ बलिदान दिवस भाजपा जिला कार्यालय पर मनाया गया। जिसमे बतौर मुख्य अतिथि के प्रदेश अध्यक्ष जनजाति मोर्चा डॉ0.....

वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करते समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोड़, प्रदेश अध्यक्ष जनजाति मोर्चा डॉ0 संजय गोंड व अन्य
sonbhadra
3:51 PM, June 24, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । भारतीय जनता पार्टी जनजाति मोर्चा मोर्चा द्वारा आयोजित वीरांगना महारानी दुर्गावती के 461वाँ बलिदान दिवस भाजपा जिला कार्यालय पर मनाया गया। जिसमे बतौर मुख्य अतिथि के प्रदेश अध्यक्ष जनजाति मोर्चा डॉ0 संजय गोंड, विशिष्ठ अतिथि समाज कल्याण राज्यमंत्री उ0प्र0सरकार संजीव कुमार गोंड उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंम्भ महारानी दुर्गावती के चित्र पर मुख्य अतिथि संजय गोंड, विशिष्ठ अतिथि संजीव कुमार गोंड, भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल, सदर विधायक भूपेश चौबे, क्षेत्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति मोर्चा विनोद खरवार, पूर्व सांसद रामशकल व शारदा खरवार ने पुष्प अर्पित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल व संचालन जिला महामंत्री जनजाति मोर्चा शम्भू गोंड ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि संजय गोंड ने कहा कि "रानी दुर्गावती देश के लिए एक मिशाल के रुप में हमेशा याद की जायेंगी उनकी वीरता और पराक्रम को आदर्श के रुप में आज भी याद किया जाता है। गोंड समाज निश्चित रुप से समाज के विकास में अपनी अहम भूमिका के साथ स्थापित हुआ है। गोंड समाज पिछली सरकारों मे उपेक्षा का शिकार रहा लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गोंड समुदाय को उनका हक और अधिकार दिलाने एवं सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर सम्मान दिलाने का कार्य कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि रानी दुर्गावती का दमोह जबलपुर स्टेट हाईवे पर सिग्रामपुर गांव में रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल से छह किलोमीटर की दूरी पर रानी दुर्गावती का सिंगोरगढ़ का किला है। यह जगह रानी दुर्गावती की राजधानी थी। किले की उम्र सैकड़ों वर्ष होने के बाद भी उसकी दीवारें आज भी मजबूती से खड़ी हैं। रानी महल, हाथी दरवाजे, स्नान के लिए किले के अंदर बने जलाशय और किले की पहाड़ियों में बने गुप्त रास्तों का रहस्य आज भी पहेली लगता है। जिले के मुख्य हाथी दरवाजे से कुछ ही दूरी पर सिंगोरगढ़ जलाशय है, यहां आज भी 12 महीने पानी रहता है। रानी दुर्गावती का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था उनकी वीरता के किस्से सुनकर गोंडवाना साम्राज्य के तत्कालीन राजा संग्राम सिंह मरावी ने अपने बेटे दलपत शाह मरावी से उनकी शादी करवाई थी। विवाह के चार वर्ष बाद ही दलपत शाह का निधन हो गया था, उस समय रानी दुर्गावती का बेटा नारायण केवल तीन साल का था। रानी ने स्वयं ही गोंडवाना साम्राज्य संभाल लिया, उन्होंने अनेक मठ, बावड़ी व अन्य धर्मशालाएं बनवाईं थीं। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था।"
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ठ अतिथि संजीव कुमार गोंड ने कहा कि "रानी दुर्गावती अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल व अपने विश्वस्त दीवान आधार सिंह के नाम पर अधाड़ताल बनवाया था। रानी दुर्गावती के संपन्न राज्य पर मालवा के मुसलमान शासक बाज बहादुर ने कई बार हमला किया, लेकिन हर बार पराजित हुआ। रानी दुर्गावती के हवाले से बताते हैं कि मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतना चाहता था। अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसिफ खान के नेतृत्व में गोंडवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया। एक बार तो आसिफ खान पराजित हुआ पर अगली बार उसने दोगुनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय कम सैनिक थे, उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया और खुद पुरुष के वेश में युद्ध का नेतृत्व किया।"
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रीय अध्यक्ष विनोद खरवार ने कहा कि "रानी दुर्गावती द्वारा युद्ध में मुगलों को भारी नुकसान हुआ और 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला। रानी के बेटे नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेजकर पराक्रम दिखाया हालांकि संभावित हार को देखते हुए उन्होंने खुद अपना बलिदान दे दिया।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल ने कहा कि "रानी दुर्गावती का मंडला रोड पर बरेला नामक जगह पर रानी की समाधि है। अबुल फजल की अकबरनामा में गोंडवाना राज्य का उल्लेख मिलता है। बरेला मंडला रोड पर रानी की समाधि है। यहां गोंड जनजाति के लोग जाकर रानी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। जबलपुर में विश्वविद्यालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर ही है। दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के आंजनी गांव में आज भी रानी दुर्गावती की सातवीं पीढ़ी रहती है। खुद को सातवीं पीढ़ी का वंशज बताने वाले इंदुर शाह ने बताया कि हमारे पूर्वज ने हमें कभी झुकना नहीं सिखाया और इसीलिए अपनी रियासत खोनी पड़ी। हालांकि रानी के वंशज सरकार की उपेक्षा से काफी दुखी हैं।"
अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष अमरेश चेरो ने कार्यक्रम में आये हुए सभी अतिथियों व कार्यकर्ता का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर सदर विधायक भूपेश चौबे, प्रदेश मंत्री जनजाति मोर्चा नागेश्वर गोंड, क्षेत्रीय अध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा अजीत रावत, शीतला आचार्य, रामअरुण खरवार, प्रेमनाथ गोंड, विजय खरवार, चन्द्रावती, ज्योति खरवार, ओमप्रकाश दूबे, उदयनाथ मौर्या, अनूप तिवारी, कृष्णमुरारी गुप्ता, रामसुन्दर निषाद, संतोष शुक्ला, गुडिया त्रिपाठी, रुबी गुप्ता, किरन तिवारी, परशुराम केशरी, नार सिंह पटेल, महेश्वर चन्द्रवंशी, प्रवीण सिंह, आशीष केशरी, रितु अग्रहरी, योगेन्द्र बिन्द, बलराम सोनी सहित अन्य कार्यकर्ता व पदाधिकारीगण मौजूद रहे।