Sonbhadra News : सोनाँचल के हर्बल ग़ुलाल से होली खेलेंगे बाबा विश्वनाथ
सोनाँचल के एनआरएलएम की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी आदिवासी महिलाओं के जरिए राजकीय पुष्प पलाश से तैयार किए गए हर्बल अबीर-गुलाल की एक बड़ी खेप लेकर शनिवार को आठ महिलाओं की टीम बाबा विश्वनाथ धाम के लिए...

टीम क़ो हरी झंडी दिखाकर बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना करती सीडीओ व DC NRLM...
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10:30 PM, March 8, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । सोनाँचल के एनआरएलएम की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी आदिवासी महिलाओं के जरिए राजकीय पुष्प पलाश से तैयार किए गए हर्बल अबीर-गुलाल की एक बड़ी खेप लेकर शनिवार को आठ महिलाओं की टीम बाबा विश्वनाथ धाम के लिए रवाना हुई। सदर ब्लॉक परिसर में सीडीओ जागृति अवस्थी और डीसी एनआरएलएम सरिता सिंह ने टीम क़ो हरी झंडी दिखाकर टीम क़ो रवाना किया।
बसंत के आगमन के साथ खिलने वाला पलाश का फूल प्रेम, श्रृंगार और उमंग का प्रतीक माना जाता हैं। पहले के समय में आदिवासी इन्हीं पलाश के फूलों से होली के लिए रंग बनाए जाते थे। फूलों को पानी में उबालकर तैयार किया गया रंग प्राकृतिक और त्वचा के लिए सुरक्षित होता है। हालांकि, आधुनिक समय में केमिकल रंगों के चलते यह परंपरा कम होती जा रही है, लेकिन आज भी आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलते हैं।
वहीं सीडीओ जागृति अवस्थी ने बताया कि "आदिवासियों में हर्बल गुलाल से होली खेलने की परंपरा वर्षों से बनी हुई है। पलास के फूलों के साथ पालक, चुकंदर बनाकर तरह-तरह के रंगों का अबीर तेयार किया जाता है। कहा कि हम सभी प्रकृति की संतान है। ऐसे में प्राकृतिक उत्पाद को अपने जीवन में कैस और किस तरह से उपयोग करें, इस पर खासा ध्यान देने की जरूरत है। होली इसका बेहतर माध्यम साबित हो सकती है।"
वहीं डीसी एनआरएलएम सरिता सिंह ने कहा कि "बाजार में बिकने वाले सिंथेटिक रंग-गुलाल और हर्बल रंग-गुलाल की कीमत बराबर है। इसमें अरारोट के साथ सब्जियों का अर्क मिलाकर अबीर बनाया जाता है। यह स्कीन के लिए हर तरह से फायदेमंद है। इसके जरिए जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिलेगी। वहीं, ऐसे इलाके जहां पानी का संकट है, प्राकृतिक अबीर-गुलाल से होली खेलना एक बेहतर विकल्प साबित होगा। 60-60 किलो गुलाल के आर्डर आए हैं, ज्यादा से ज्यादा लोग इसे प्रयोग करें, यह स्किन के लिए अच्छा है। हर ब्लाक में अलग-अलग समूह से दो-तीन महिलाएं मिलकर इसे कर रही हैं।"