Sonbhadra News : एक ऐसी पैथी, जिसमें ना तो दवाओं की जरूरत और ना ही ऑपरेशन का डर
जीवनशैली में बदलाव के साथ ही लोग शरीर के दर्द से परेशान हैं। यदि मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों या नसों में दर्द है, तो आधुनिक मशीनों के साथ एक्सरसाइज से आपकी तकलीफ दूर हो सकती है। दवा, इंजेक्शन और....

मरीज का फिजियोथेरेपी करते फिजियोथेरेपिस्ट आशीष मिश्रा.....
sonbhadra
11:47 PM, September 8, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जीवनशैली में बदलाव के साथ ही लोग शरीर के दर्द से परेशान हैं। यदि मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों या नसों में दर्द है, तो आधुनिक मशीनों के साथ एक्सरसाइज से आपकी तकलीफ दूर हो सकती है। दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत के लिए फिजियोथैरेपी का सहारा लेना एक बेहतर विकल्प है। जरूरत से ज्यादा दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से किडनी और शरीर के दूसरे अंगों पर बुरा असर पड़ता है। अक्सर मरीज तभी फिजियोथैरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। फिजियोथैरेपी कमजोर पड़ते मांसपेशियों और नसों को मजबूत करती है। यहीं वजह है कि अब इसकी जरूरत कार्डियो रिलेटेड बीमारी से लेकर गर्भवती महिलाओं तक को महसूस हो रही है।
फिजियोथैरेपिस्ट आशीष मिश्रा बताते हैं कि "मांसपेशियों के अलावा नसों के दर्द को भी दूर करने के लिए लोग फिजियोथैरेपी का सहारा ले रहे हैं। विश्व फिजियोथैरेपी दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को फिजियोथैरेपी के महत्व के बारे में जागरूक करना है। फिजियोथैरेपी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से राहत प्रदान करती है और इसके लिए दवाओं की आवश्यकता नहीं होती। शरीर को स्वस्थ रखने और दर्द कम करने के लिए डॉक्टर अक्सर फिजियोथैरेपी की सलाह देते हैं। इससे कई शारीरिक समस्याएं ठीक होती हैं।"
ये दिक्कतें होती हैं दूर -
फिजियोथेरेपी से फ्रोजन शोल्डर, कमर व पीठ दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, घुटनों में दर्द, खराब पॉश्चर की वजह से होने वाली दिक्कत, शरीर की नसों को मजबूत किया जा सकता है। वहीं यह थेरेपी गर्भवती महिलाओं की देखभाल और सर्जरी के बाद एक्सरसाइज के जरिए आराम दिलाने में भी यह मददगार है। फिजियोथैरेपी से शरीर की जकड़न कम होती है और कमर, पीठ, और पैरों के दर्द में राहत मिलती है। कभी-कभी डॉक्टर दवाई के बजाय फिजियोथैरेपी को प्राथमिकता देते हैं। यह चिकित्सा विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी कारण से हर साल विश्व फिजियोथैरेपी दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
कब पड़ती है फिजियोथैरेपिस्ट की जरूरत -
जब लकवा, साइटिका, मांसपेशियों में खिंचाव, अस्थमा, कमर दर्द जैसी समस्याएं होती हैं, तब मरीज को मुख्य रूप से फिजियोथैरेपी करवाने की सलाह दी जाती है। शारीरिक कार्य करने में असमर्थता होने पर या शरीर में असहनीय दर्द होने पर भी डॉक्टर इसकी सलाह देते हैं।