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Sonbhadra News : 32 बच्चों क़ो मिली टेढ़े पैर से निजात, जिला अस्पताल में हुआ निःशुल्क इलाज

जन्मजात शारीरिक विकृति से जूझ रहे बच्चों के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) वरदान साबित हो रहा है। टेढ़े-मेढ़े पैर वाले 32 बच्चों का सफल इलाज होने पर उनके चेहरे खिल गए। परिवार में भी.

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बच्चों के टेढ़े पैरों का इलाज करने वाली चिकित्सकों की टीम साथ में लाभान्वित बच्चे व उनके परिजन

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12:19 AM, January 4, 2025

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आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)

सोनभद्र । जन्मजात शारीरिक विकृति से जूझ रहे बच्चों के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) वरदान साबित हो रहा है। टेढ़े-मेढ़े पैर वाले 32 बच्चों का सफल इलाज होने पर उनके चेहरे खिल गए। परिवार में भी खुशी छा गई। यह बच्चे अब सामान्य बच्चों की तरह खेल-कूद सकेंगें। ऐसा सम्भव हुआ है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में 'क्लब फुट क्लीनिक' अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग के सहयोग से। सरकार शारीरिक विकृति से पीड़ित बच्चों का निःशुल्क इलाज दे रही है। शुक्रवार को इस प्रकार के कुल 32 बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया।

विशेषज्ञों की मानें तो चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी के सही कारण का पता अब तक नहीं चल सका है। क्लब फुट बीमारी में बच्चों के पैर जन्मजात टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। सही समय पर इसका इलाज न हो तो बच्चा जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है।

वहीं जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 विजय सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के समय अगर सही तरीके से अल्ट्रासाउंड किया जाए तो गर्भस्थ शिशु में ही इस लक्षण का पता चल जाता है। गांवों में बच्चे के पैदा होने के साथ ही इस बात का पता चल जाता है लेकिन उस समय उसके माता-पिता इस विकृति को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। अगर जन्म के साथ ही इलाज शुरू कर दिया जाता है तो उसके लाभ समय से दिखने लगते हैं। इस कार्यक्रम के तहत 32 बच्चों को मुफ्त इलाज का लाभ मिला है। इसमें 9 बच्चों क़ो प्लास्टर लगाया गया, 3 बच्चों को टेनोटॉमी लगाई गई और 20 बच्चों क़ो जूते दिए गए। बताया कि जन्म के समय स्क्रीनिग के दौरान पता चलने पर इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू हो जाए, ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। मुख्यत: जन्म से दो वर्ष तक के बच्चों का इलाज प्लास्टर द्वारा तथा विशेष तरह के जूतों को पहनाकर किया जा सकता है, जो पूर्णतया निःशुल्क है।

इस दौरान अस्पताल में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 अवनीश शाह, डॉ0 धनंजय पटेल, मास्टर ट्रेनर डॉ0 अवनीश सिंह, ब्रांच मैनेजर आशुतोष तिवारी तथा प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव अर्पित श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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