Sonbhadra court news : दोषी सुरेश को 5 वर्ष की कठोर कैद
अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी सुरेश को 5 वर्ष की कठोर कैद एवं 5 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

sonbhadra
5:21 PM, August 21, 2025
राजेश पाठक (संवाददाता)
- 5 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
- जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
- अर्थदंड की धनराशि में से 3 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी
- करीब सवा सात वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला
सोनभद्र। करीब सवा सात वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी सुरेश को 5 वर्ष की कठोर कैद एवं 5 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 3 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक दुद्धी थाना क्षेत्र स्थित एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 16 मई 2018 को दुद्धी थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 12 मई 2018 को रात 9 बजे उसकी 17 वर्षीय नाबालिग बेटी शौच के लिए गई थी, लेकिन वह वापस नहीं आई। जब उसका पता लगाया तो पता चला कि दुद्धी थाना क्षेत्र के सरडिहा गांव निवासी सुरेश पुत्र भगवान दास बहला फुसलाकर उसकी नाबालिग बेटी को भगाकर ले गया है। जब सुरेश के घर जाकर पता किया तो उसकी पत्नी ने बताया कि घर पर नही है।सुरेश को कई बार घर के आसपास मंडराते हुए देखा गया है, लेकिन उसकी घटिया हरकत से वाकिफ नहीं था। आवश्यक कर्रवाई करें। इस तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दिया और पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में सुरेश के विरूद्ध चार्जशीट विवेचक ने दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्को को सुनने, 10 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर अपहरण के दोषी सुरेश को 5 वर्ष की कठोर कैद एवं 5 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वही अर्थदंड की धनराशि में से 3 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर ले सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।