SIR in UP : सोनभद्र से 2.32 लाख से अधिक वोटर 'गुम', मतदाता सूची से होंगे बाहर
जिले में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के दौरान मतदाता सूची की बड़ी खामियां सामने आ रही हैं। बीएलओ द्वारा घर-घर सत्यापन में यह तथ्य उभरकर आया है कि करीब तीन लाख से अधिक वोटर ऐसे हैं....

फ़ाइल फोटो....
sonbhadra
1:13 PM, December 15, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जिले में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के दौरान मतदाता सूची की बड़ी खामियां सामने आ रही हैं। बीएलओ द्वारा घर-घर सत्यापन में यह तथ्य उभरकर आया है कि करीब तीन लाख से अधिक वोटर ऐसे हैं जो अपने पते पर मिल ही नहीं रहे। जिले में पंजीकृत लगभग 1405078 मतदाताओं में से इतने लोगों का गायब होना निर्वाचन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। इन सभी के नाम मतदाता सूची से हटने तय हैं।
एएसडी श्रेणी में डाले गए अब तक 18 फीसदी वोटरों के नाम -
एसआईआर की प्रक्रिया लगभग समाप्ति को ओर है। अब तक बीएलओ की में घर-घर सत्यापन में 18 फीसदी से अधिक मतदाता गायब पाए गए हैं। कई बार क्रॉस चेकिंग के बाद उनका सत्यापन किया गया, जिसके बाद उनके नाम एएसडी श्रेणी में डाल दिए गए हैं। एएसडी यानि एबसेंट, शिफ्टेड व डुप्लिकेट अथवा डेथ वोटर। निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार बड़ी संख्या में लोग नौकरी, पढ़ाई या व्यवसाय के लिए शहर में रहते हुए शहर का वोटर बन गए थे लेकिन, अब एसआइआर अभियान में उन्हें एक ही जगह वोटर चुने जाने की बाध्यता है। ऐसे में कई लोग अपने मूल गांव, नगर पंचायत या दूसरे जिलों के पते से ही प्रपत्र भर रहे हैं, जिसके कारण शहर की मतदाता सूची से उनका नाम कटना तय है। यह भी सामने आया है कि कुछ लोग काफी पहले गांव वापस लौट चुके थे, कुछ परिवार अन्य शहरों में शिफ्ट हो गए, जबकि कई मतदाता मृत्युपरांत भी सूची में दर्ज थे। अब इन सभी को गैरहाजिर/ट्रेस नाट फाउंड की श्रेणी में चिह्नित किया जा रहा है। मौजूदा मतदाता सूची के अनुसार जिले में कुल मतदाताओं की संख्या साढ़े 14 लाख से अधिक है। गणना प्रपत्र भरे जाने प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतदाता सूची से एएसडी श्रेणी वाले 2.32 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम बाहर कर दिए जाएंगे। अभी बीएलओ का सत्यापन अभियान जारी है, इसलिए बोगस और दोहरे वोटरों की वास्तविक संख्या अभियान के पूर्ण होने के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट होगी। हालांकि, अब तक प्राप्त सूचनाओं से यह तय माना जा रहा है कि जिले की कुल मतदाता की संख्या में 2.32 लाख से अधिक की कमी दर्ज होगी।
SIR अभियान को ‘मतदाता सूची शुद्धिकरण’ की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मान रहा निर्वाचन विभाग -
निर्वाचन विभाग SIR अभियान को ‘मतदाता सूची शुद्धिकरण’ की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मान रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मतदाताओं को सूची में बनाए रखना न केवल चुनावी पारदर्शिता को प्रभावित करता है, बल्कि मतदान प्रतिशत और चुनावी प्रबंधन पर भी नकारात्मक असर डालता है। एसआइआर अभियान से यह भी साफ हुआ है कि शहर में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग वास्तव में अन्य जिलों/पंचायतों के मूल निवासी हैं, जिन्होंने सुविधा के अनुसार शहर का पता जोड़कर वोटर कार्ड बनवा लिया था। अब सत्यापन की प्रक्रिया में उनकी दोहरी प्रविष्टियां उजागर हो रही हैं, जिसके कारण शहर की मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटेंगे। अभियान के बाद जिले की मतदाता सूची में बड़ा बदलाव देखने की संभावना है, जिससे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
22 वर्षों में दो नए विधानसभा क्षेत्रों का हुआ सृजन -
पिछले 22 वर्षों में जिले में दो नए विधानसभा क्षेत्र बढ़े हैं तो बूथों की संख्या भी करीब दोगुनी हो गई है। पांच लाख से ज्यादा मतदाता बढ़ गए हैं। इनमें करीब 30 फीसदी ऐसे हैं, जिनके नाम वर्ष 2003 की सूची में नहीं थे। इनमें 18-50 साल की आयु वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछला प्रगाढ़ पुनरीक्षण अभियान वर्ष 2003 में हुआ था। तब सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज और दुद्धी विधानसभा क्षेत्र था। इसके अलावा मिर्जापुर के राजगढ़ का आंशिक क्षेत्र भी जिले में आता था, तब जिले में 9.17 लाख मतदाता था। कुल 870 बूथों पर मतदान होता था। वर्ष 2009 में लागू हुए नए परिसीमन के बाद घोरावल और ओबरा नए विधानसभा क्षेत्र बने। भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही जिले की सामाजिक संरचना में भी काफी बदलाव आया है।
22 वर्षों में बढ़ गए 5 लाख वोटर -
वर्ष 2003 की मतदाता सूची में कुल 917019 लाख मतदाता थे। यह संख्या अब बढ़कर 1405078 लाख हो गई है। इस दौरान दो -दो लाख से अधिक पुरूष और महिला मतदाता बढ़े। निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003 के बाद प्रत्येक विधानसभा चुनाव में करीब एक-एक लाख वोटरों की संख्या बढ़ी।



