Lakhimpur Kheri news : हिन्दी दिवस पर प्रेस जर्नलिस्ट ऑफ इण्डिया की हुईं संगोष्ठी
हिन्दी दिवस पर प्रेस जर्नलिस्ट ऑफ इण्डिया के तत्वावधान में वर्तमान परिवेश में हिन्दी की दशा, दिशा परिचर्चा कार्यक्रम कार्यकारी अध्यक्ष कामता सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में हुआ।

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10:09 PM, September 13, 2025
उमेश शर्मा (संवाददाता)
गोला गोकर्णनाथ,खीरी। (वीओएल) हिन्दी दिवस पर प्रेस जर्नलिस्ट ऑफ इण्डिया के तत्वावधान में वर्तमान परिवेश में हिन्दी की दशा,दिशा और प्रिन्ट मीडिया की भूमिका विषयक नगर पालिका सभागार परिचर्चा कार्यक्रम कार्यकारी अध्यक्ष कामता सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में हुआ।जिसमें वक्ताओं ने हिन्दी की दशा और दिशा पर विचार रखे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विधायक अमन गिरि व एसडीएम युगान्तर त्रिपाठी, पालिकाध्यक्ष विजय शुक्ला रिंकू, पुलिस क्षेत्राधिकारी रमेश कुमार तिवारी व मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत सिंह आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अमन गिरि ने कहा कि हिन्दी की दशा में अग्रेजी के बढ़ते प्रभाव और भाषागत अशुद्धियों की चुनौती है, लेकिन इसका भविष्य सकारात्मक हैं क्योंकि यह एक वैश्विक भाषा के रूप में विकसित हों रही हैं और युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं, खासकर सोशल मीडिया और इंटरनेट के कारण। प्रिंट मीडिया ने हमेशा हिन्दी के विकास में अहम भूमिका निभाई हैं, स्वतंत्रता संग्राम से लेकर समसामयिक पत्रकारिता तक, गहन विश्लेषण और जनसंचार में इसका योगदान महत्वपूर्ण हैं। एसडीएम युगान्तर त्रिपाठी ने हिंदी अपनी वैश्विक पहचान और क्षमता के साथ आगे बढ़ रही हैं, लेकिन भारत में इसका वास्तविक स्थान पाने के लिए नागरिक और सरकारी स्तर पर सचेत प्रयासों की आवश्यकता हैं।हमारी भावी पीढ़ी के संस्कार बदल रहें हैं। इसके लिए बच्चों को मोबाइल, टीवी के बजाय हिन्दी की पुस्तकों की ओर बढाना अत्यंत जरूरी हैं। पालिकाध्यक्ष विजय शुक्ला रिंकू ने कहा कि आज हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह हैं कि हम हिंदी को बड़े हल्के में ले लेते हैं, इसे गंभीरता से लेने की जरूरत हैं।हिंदी के प्रसार में सिनेमा की अहम भूमिका रही हैं।पूर्व की फिल्मों को देखें तो कुछ किरदार ऐसे थे जैसे हिंदी के राजदूत की भूमिका निभा रहें हों। मुख्य वक्ता श्रीकांत सिंह ने कहा कि व्यवस्थाएं बदलीं हैं, संसाधन बदले हैं तो हिन्दी की जिम्मेदारियां भी बढीं हैं। काफी कुछ बदलाव भी हुआ हैं। खासकर सोशल मीडिया के युग में प्रिंट मीडिया की महत्ता कहने को भले ही घटी हैं, लेकिन देखा जाए तो इसकी उपयोगिता नहीं घटी हैं, बल्कि जिम्मेदारियां बढ़ी हैं। इन्हीं के साथ हिन्दी पत्र और पत्रकारिता के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां भी सामने खड़ी हुईं हैं। गोष्ठी को महेन्द्र कुमार त्रिपाठी, प्रो0 रामअवतार विश्वकर्मा, डा0 सौरभ दीक्षित, डा0 प्रमोद दीक्षित, केके शुक्ला, अभिषेक राजपूत आदि ने सम्बोधित किया। अन्त में कार्यकारी अध्यक्ष कामता सिंह कुशवाहा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर संगठन के सदस्य मूलचंद भारद्वाज,महासचिव मन्दीप कुमार वर्मा, तहसील अध्यक्ष करन सिंह राठौर, तहसील मंत्री सचिन शर्मा, राजेश कश्यप, सुनील श्रीवास्तव, सौरभ पाण्डेय, शुभम अग्निहोत्री, आशीष शुक्ला, डा0 योगेश कनौजिया, रामकुमार कश्यप, शमशाद खां, उमेश मिश्रा, अजेन्द्र सिंह, रफी अहमद, राजदीप शुक्ला, संजय वर्मा, सुनील गुप्ता, अनिल जायसवाल, उमेश शर्मा, अजय कुमार अग्निहोत्री, समाजसेवी अमरजीत सिंह आदि मौजूद रहे।