अहरौरा में चार लोगों के मौत का मामला: गर्भवती महिला रेफर हुई जिला अस्पताल से मगर वाराणसी जा रही थी प्राइवेट एम्बुलेंस से, उठने लगे सवाल
शनिवार को एक बार फिर सरकारी अस्पताल सवालों के घेरे में हैं। और इस बार सवाल जिला अस्पताल पर खड़ा हो रहा है । भ्रष्ट तंत्र की वजह से पूरा गरीब परिवार खत्म हो गया ।

अहरौरा घटना स्थल की तस्वीर
Whatsapp चैनल फॉलो करे !शान्तनु कुमार
★ सरकारी अस्पतालों की हालत दयनीय
★ मंत्री संजीव गोंड़ भी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठा चुके हैं सवाल
★ क्या प्रशासन रेफर से एम्बुलेंस तक की जांच कराएगा
सोनभद्र । जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अब क्या ही कहना, जब सूबे के मंत्री संजीव गोंड़ खुद व्यवस्था को देखकर अवाक रह चुके हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सीएमओ को उक्त डॉक्टर को जंगल भेजने को कह दिया । शनिवार को एक बार फिर सरकारी अस्पताल सवालों के घेरे में हैं। और इस बार सवाल जिला अस्पताल पर खड़ा हो रहा है । भ्रष्ट तंत्र की वजह से पूरा गरीब परिवार खत्म हो गया ।
दरअसल ओबरा थाना क्षेत्र के कनहरा निवासिनी हीरावती गर्भवती थी, जिसके लिए उसके घर वाले उसे लोढ़ी स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से डॉक्टरों ने हीरावती को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया । जिसके बाद पूरा परिवार एम्बुलेंस से वाराणसी जाने लगा। तभी अहरौरा घाटी में गिट्टी लोड ट्रक एम्बुलेंस को टक्कर मारते हुए उसी पर पलट गया । जिसमें मलबे में दबकर एम्बुलेंस सवार गर्भवती हीरावती देवी समेत चार लोगों की मौत हो गयी । घटना के बाद जेसीवी व पोकलेन की मदद से बाकी बाकी लोगों को निकाला गया, जिसमें घायल दो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया ।
लेकिन इस घटना में सबसे बड़ा सवाल यह निकल कर सामने आया कि जब हीरावती देवी जिला अस्पताल से रेफर हुई तो आखिर प्राइवेट एम्बुलेंस से वाराणसी क्यों जा रही थी । चर्चा यह भी है कि अस्पताल के भीतर हीरावती को सरकारी एम्बुलेंस में बिठाकर वाराणसी के लिए रेफर किया गया था लेकिन गेट के बाहर एम्बुलेंस बदल दिया जाता है और उसे परिवार सहित प्राइवेट एम्बुलेंस में बिठाकर रवाना कर दिया जाता है । और आगे चलकर एम्बुलेंस हादसे का शिकार हो जाता है ।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर जिला अस्पताल में भर्ती मरीज रेफर के बाद प्राइवेट एम्बुलेंस तक कैसे पहुंची । क्या कोई दलाल मरीज की रेकी कर रहा था, जैसे ही मरीज रेफर हुआ उसे लपक लिया गया । इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिए ।
सवाल तो यह भी उठ रहा है कि योगी सरकार के तमाम सुविधाएं बढ़ाने के वावजूद आखिर रेफर क्यों नहीं रुक रहा । इमरजेंसी बताकर रेफर करने का खेल आखिर कब तक चलेगा । सीडीओ जागृति अवस्थी ने भी रेफर को पर्ची पर कारण सहित अंकित करने का निर्देश दे चूंकि हैं मगर निर्देश का पालन करते आज तक कोई नहीं दिखा ।
बहरहाल चार जिंदगियों के मौत के बाद क्या प्रशासन अब जागेगा और रेफर से लेकर एम्बुलेंस तक के खेल की जांच कराकर दोषियों को कड़ी सजा दिला पायेगा । यह तो आने वाले समय में तय होगा । मगर प्रशासन द्वारा उठाया गया कदम शायद आगे कईं जिंदगियों को बचा सकता है ।

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