सोनभद्र

लूट के चार दोषियों को 3-3 वर्ष की कैद

राजेश पाठक (संवाददाता)
* 2500-2500 रूपये अर्थदंड, न देने पर एक -एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* 16 वर्ष पूर्व औड़ी मोड़ अनपरा स्थित ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र कार्यालय में तोड़फोड़ कर लूटपाट किए जाने का था आरोप

सोनभद्र। 16 वर्ष पूर्व औड़ी मोड़ अनपरा स्थित ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र कार्यालय में तोड़फोड़ कर लूटपाट किए जाने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह की अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर 4 दोषियों रामगोविंद, लाले, उदास व विद्या मिस्त्री को 3- 3 वर्ष की कैद एवं ढाई- ढाई हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र के तुर्रा निवासी रामकिशुन शाही पुत्र मोहर शाही जो ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र के संपादक हैं ने न्यायालय में दाखिल धारा 156(3) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि उसका प्रेस कार्यालय व दुकान अनपरा थाना क्षेत्र में औड़ी मोड़ वीना रोड में स्थित है। इधर कई दिनों से वे बीमार व अस्वस्थ्य चल रहे हैं। एक नवंबर 2006 को 11 बजे दिन अनपरा थाना क्षेत्र के औड़ी निवासी रामगोविंद पुत्र बबई, लाले पुत्र रामगोविंद, उदास पुत्र रामगोविन्द व विद्या मिस्त्री पुत्र लक्ष्मण अपने साथ कुछ अन्य व्यक्तियों को लेकर प्रेस कार्यालय व दुकान का बरामदा तथा पीलर तोड़कर नुकसान पहुंचाने लगे। जब फोटोग्राफर विकास ने फोटो खींचना चाहा और उन लोगों को मना करने लगा तो सभी मिलकर विकास को झापड़ मुक्का से मारपीट कर उसका कैमरा, मोबाइल व 300 रूपये जबरन छीन लिया। इस संदर्भ में थाना और उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। घटना 7 नवंबर 2006 की शाम 4 बजे की है। रामगोविंद, विद्या मिस्त्री, लाले व उदास अपने साथ 8-10 व्यक्तियों को लेकर सबल, गैता, कुल्हाड़ी, डंडा, ट्रैक्टर, जेसीबी मशीन आदि लेकर आए और प्रेस कार्यालय व दुकान का पीलर आदि सामान तोड़कर प्रेस कार्यालय व दुकान का सारा सामान उठा ले गए। इस घटना को आसपास के लोगों ने देखा और टेलीफोन से सूचना दिया। रात्रि में ही थाने को फोन से सूचना दिया। दूसरे दिन सुबह मौके पर गया तो आसपास के लोगों ने सही जानकारी दी तो उच्चाधिकारियों को सूचना दिया। इतना ही नहीं 6 नवंबर 2006 को जनपद एवं सत्र न्यायाधीश सोनभद्र ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, बावजूद इसके घटना को अंजाम दिया गया है। करीब 3 लाख रूपये की नुकसानी हुई है। कोर्ट ने अनपरा थानाध्यक्ष को एफ आई आर दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना का आदेश दिया था। विवेचक ने न्यायालय में 14 सितंबर 2007 को अंतिम रिपोर्ट प्रेषित किया। जिसपर प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने उसे स्वीकार कर लिया। उसके बाद धारा 200 सिआरपीसी के तहत रामकिशुन शाही का बयान, 202 सिआरपीसी के तहत 5 गवाहों विजय चौहान, रामबरन, गिरजेश सिंह, साहब सिंह व हाकिम सिंह का बयान दर्ज किया गया। अदालत ने 3 नवंबर 2009 को अभियुक्तगण को तलब किया था। इसी मामले में अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर चारो दोषियों रामगोविंद, लाले, उदास व विद्या मिस्त्री को 3-3 वर्ष की कैद एवं ढाई – ढाई हजार रूपये अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर एक -एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

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