साहेब मैं जिंदा हूँ... मंत्री के इलाके में एक बुजुर्ग भुखमरी के कगार पर
कहा जाता है कि तलवार की धार से भी तेज कलम की धार होती है । अगर कलम सरकारी हो और सही चले तो जिंदगियां संवर जाती है और अगर गलत चले तो परिवार के परिवार तबाह हो जाते हैं । ऐसा ही एक उदाहरण सोनभद्र में देखा जा सकता है । जहां एक सरकारी कलम चली तो जिंदा बुजुर्ग कांता पांडेय को मृत दिखा दिया गया। जिसके बाद से गरीब कांता पांडेय को मिलने वाली सारी सरकारी सुविधाएं बन्द हो गयी।