शारदीय नवरात्र की शुरुआत, पहले दिन मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, मां विंध्यवासिनी देवी की एक झलक पाकर श्रद्धालु हो रहे निहाल
विंध्याचल धाम में स्थित प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर पर भी आधी रात से ही श्रद्धालुओं की लाइन लगना शुरू हो गई थी, मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु लंबी लंबी लाइनों में लगकर दर्शन पूजन कर रहे

mirzapur
8:16 AM, October 3, 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि प्रारंभ होते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ हुए हैं जो कि 12 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा की विधिवत उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और अखंड ज्योत जलाने का विधान है। आज पूरे देश के मंदिरों में सुबह से ही घण्टा घड़ियाल की गूंज सुनाई दे रही है ।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में स्थित प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर पर भी आधी रात से ही श्रद्धालुओं की लाइन लगना शुरू हो गई थी, मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु लंबी लंबी लाइनों में लगकर हाथों में नारियल चुनरी लेकर मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन कर रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी देवी के दरबार में शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन कर रहे हैं. मां विंध्यवासिनी देवी का एक झलक पाकर निहाल हो रहे हैं।
आपको बतादें कि विंध्याचल धाम में नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि मेले में देश भर से लाखों की संख्या में भक्त माँ विंध्यवासनी के दर्शन पूजन के लिए पहुचेंगे । श्रद्धालुओं की सुविधा लेकर पूरे मंदिर में स्टील के बैरिकेट लगा कर सुरक्षा के इंतिजाम किये गये है। सुरक्षा की दृष्टिकोण से पूरे मेला को तीन सुपर जोन 10 जोन और 21 सेक्टर में बांटा गया है । प्रत्येक जोन व सेक्टर के प्रभारी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को बनाया गया है। श्रद्धालु की सुरक्षा के लिए हजारों की संख्या में पुलिसकर्मियों को लगाया गया है जो मुस्तादी से ड्यूटी कर रहे हैं।
ऐसे करें पूजा
शैलपुत्री स्वरूप के पूजन में क्या चढ़ाया जाता है इसको लेकर पुरोहित ने बताया की भक्तों को इस दिन लाल वस्त्र धारण कर पूजा करना चाहिए । माता रानी को श्वेत पुष्प, कमल के पुष्प,गुड़हल के फूल प्रिय हैं नारियल भी चढ़ाने प्रसन्न होती है। मां को गाय के घी से बने हुए पकवान बनाकर चढ़ाने से मां खुश होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।