Sonbhadra News : शल्य चिकित्सक और एनेस्थेटिक दो दिनों में शपथ पत्र देकर बताएं कहां दे रहे हैं सेवाएं - सीएमओ
सोमवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय परिसर में सोमवार को सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार की अध्यक्षता में निजी चिकित्सालय के प्रबंधक, इंचार्ज, विशेषज्ञ चिकित्सक एवं डाक्टर के साथ समीक्षा बैठक की गई। इस.....

निजी हॉस्पिटल संचालकों व चिकित्सकों के साथ समीक्षा बैठक करते सीएमओ डॉ0अश्वनी कुमार....
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6:46 AM, September 16, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । सोमवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय परिसर में सोमवार को सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार की अध्यक्षता में निजी चिकित्सालय के प्रबंधक, इंचार्ज, विशेषज्ञ चिकित्सक एवं डाक्टर के साथ समीक्षा बैठक की गई। इस दौरान करीब 66 अस्पतालों से संचालक व चिकित्सक मौजूद हुए, जिसमें सिर्फ तीन जनरल सर्जन, एक एनेस्थेटिस्ट और दो आर्थोपेडिक सर्जन ही पहुंचे थे जबकि ज्यादातर चिकित्सक एमबीबीएस व बीएएमएस डिग्रीधारी भी मौजूद रहे।
निरीक्षण में तीन बार पूर्णकलिक पंजीकृत चिकित्सक नहीं पाए जाने पर निरस्त होगा संबंधित हॉस्पिटल का पंजीकरण -
सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार ने सभी निजी चिकित्सालयों के संचालक व विशेषज्ञ डाक्टरों को निर्देशित किया कि जिन चिकित्सालयों में ऑपरेशन होता है वहां पर शल्य चिकित्सक की तरफ से मरीज के केस सीट पर पूर्ण रूप से नोट अंकित करना अनिवार्य है, यदि जांच टीम की तरफ से ऐसा नहीं पाया गया तो तत्काल ओटी सीज कर दिया जायेगा साथ ही शल्य चिकित्सक का नाम व समय सूचना पट्टीका पर अंकित करना सुनिश्चित करें। वहीं शल्य चिकित्सकों व एनेस्थेटिकों को निर्देशित किया गया कि उनके तरफ से किस-किस चिकित्सालय में सेवाएं दी जा रही है, उसकी सूचना शपथ-पत्र के साथ दो कार्य दिवस के अंदर सीएमओ कार्यालय में प्रस्तुत करें। जांच टीम द्वारा तीन बार औचक निरीक्षण में मानक के अनुरूप सूचना पट्टीका पर अंकित पूर्णकालिक पजीकृत चिकित्सक नहीं पाये गये तो तत्काल सम्बन्धित चिकित्सालय का पंजीकरण निरस्त कर विधिक कार्यवाही की जायेगी।
हर हाल में 30 सितंबर तक करा लें नवीनीकरण -
जिन निजी चिकित्सालयों का पंजीकरण/नवीनीकरण के लिए आवेदन किये गये हैं वे 30 सितंबर तक अनिवार्य रूप से अपना पंजीकरण कराना सुनिश्चित करें। अन्यथा की स्थिति में उनका चिकित्सालय सीज कर दिया जायेगा। जिन निजी चिकित्सालय में आईसीयू संचालित है वहां पर जनरल फिजिसियन, ऐनसथैटिक की उपस्थिति अनिवार्य है। सभी निजी चिकित्सालय अपने चिकित्सालय में कार्य करने के लिए एमबीबीएस चिकित्सक से कम से कम एक वर्ष का एग्रीमेंट करेंगे।
कहीं सरकारी एनेस्थेटिक तो नहीं दे रहे निजी हॉस्पिटलों में बेहोशी -
जिले में स्वास्थ्य विभाग ने 75 निजी अस्पताल व नर्सिंग होम का पंजीकरण किया है। इनमें से ज्यादातर अस्पतालों में सर्जरी भी होती है। ऐसे अस्पतालों में विशेषज्ञ सर्जन, एनेस्थेटिस्ट होने अनिवार्य हैं लेकिन सोमवार की स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में एनेस्थिसिया के महज एक-दो चिकित्सक और तीन सर्जन ही मौजूद थे। ऐसे में उन निजी हॉस्पिटल जहां सर्जरी हो रही है, वहां बेहोशी का इंजेक्शन कौन दे रहा है इसे लेकर सवाल उठने लगा है। अन्य अस्पतालों में सर्जरी किसके भरोसे हो रही है। ऐसे में सरकारी हॉस्पिटलों के चिकित्सकों पर निजी प्रैक्टिस के आरोप भी लगने लगे हैं।
टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग करें निजी चिकित्सालय -
वहीं जिला क्षय रोग अधिकारी, डॉ0 आर0जी0 यादव ने निजी चिकित्सालयों को अवगत कराया कि टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत संदिग्ध टीबी के मरीजों की अधिक से अधिक जांच करें, जिससे टीबी के मरीजों की पहचान कर उनका उचित उपचार किया जा सके। इस अभियान के दौरान टीबी के मरीजों की मृत्यु दर में कमी आई है।
ये रहे मौजूद -
इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, आरसीएच डॉ0 पीके राय, एसीएमओ/नोडल अधिकारी डॉ 0 जीएस यादव, उप मुख्य विकित्साधिकारी डॉ0 कीर्ति आजाद बिंद, एआरओ चक्रवर्ती सिंह आदि रहे।