Sonbhadra News : एसी कमरों से निकलने को तैयार नहीं जिम्मेदार, एक वर्ष बाद भी शहरी आरोग्य मंदिरों के लिए भवनों की दरकार
प्रदेश की योगी सरकार जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे करती रहती है, लेेकिन उसकी सच्चाई धरातल पर कुछ और ही नजर आती है। तभी तो शहरी आबादी को बेहतर उपचार मिल सके इसको....

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार...
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4:24 AM, February 22, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । प्रदेश की योगी सरकार जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे करती रहती है, लेेकिन उसकी सच्चाई धरातल पर कुछ और ही नजर आती है। तभी तो शहरी आबादी को बेहतर उपचार मिल सके इसको लेकर मार्च 2024 में शासन से जिले में पांच आरोग्य मंदिरों को खोलने की अनुमति मिली थी लेकिन इसके उलट, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन को लेकर संजीदा नहीं हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते एक वर्ष बीतने के बाद भी अब तक प्रस्तावित पांच शहरी आरोग्य मंदिरों के लिए भवन नहीं खोजा जा सका है। वहीं जिम्मेदारों की इस लापरवाही से शहरी जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
खोले जाने हैं पांच शहरी आरोग्य मंदिर -
आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र के नगरीय इलाकों की आबादी को बेहतर उपचार मिले, इसके लिए करीब एक वर्ष पूर्व शासन से पांच शहरी आरोग्य मंदिर स्थापित करने की अनुमति मिली थी, इसमें नगर पालिका राबर्ट्सगंज, नगर पंचायत ओबरा, पिपरी में एक-एक तथा रेनूकुट में दो आरोग्य मंदिर बनने हैं, जबकि 15वें वित्त आयोग के तहत पिपरी व रेणुकूट क्षेत्र में दो आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोले जाने हैं। इसके लिए किराये का भवन लिया जाना है। किराये के रूप में अधिकतम 50 हजार रुपये या फिर डीएम सर्किल रेट के आधार पर भुगतान होगा। 1100 वर्गफीट में भवन होना चाहिए लेकिन किराया ठीक-ठाक होने के बावजूद इन पांच स्वास्थ्य केंद्रों के लिए एक वर्ष बाद भी अब तक भवन नहीं मिल सका है, जोकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
एसी कमरों से नहीं निकलना चाहते जिम्मेदार -
एक तरफ जहाँ सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जमीन पर उतरकर प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, वहीं इसके उलट सोनभद्र स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को एसी कमरों की ऐसी तलब लगी है कि वह इससे बाहर ही नहीं निकलना चाहते। एक वर्ष पूर्व शासन की अनुमति मिलने के बाद भी शहरी आरोग्य मंदिर के लिए भवन की तलाश पूरी नहीं कर पाना कहीं न कहीं इस बात को मजबूती प्रदान करता है।
सीएमओ की कार्यवाही के बाद भी जिम्मेदारों का लचर रवैया जारी -
शहरी आरोग्य मंदिर के भवनों की तलाश पूरी नहीं होने पर कुछ माह पूर्व समीक्षा बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने सख्त रुख अपनाते हुए अर्बन कोआर्डिनेटर राकेश कन्नौजिया के मानदेय आहरण पर भी रोक लगा दिया था, बावजूद इसके अब तक भवनों की तलाश पूरी नहीं हो सकी। हालांकि कुछ विभागीय लोगों की मानें तो सर्किल रेट और व्यावहारिक किराये में काफी अंतर है। उनका कहना है कि कम किराया होने के कारण कोई भवन देने को तैयार नहीं है।
शहरी आरोग्य मंदिरों में मिलेंगी ये सुविधाएं -
आरोग्य मंदिरों में एमबीबीएस डॉक्टर, स्टाफ नर्स, एएनएम और दो स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की जाएगी। ओपीडी में मरीज उपचार करा सकेंगे और यहीं पर दवाएं मिलेंगी साथ ही टीकाकरण और काउंसिलिंग भी होगी। यहां मरीजों की 14 प्रकार की जांच हो सकेगी। अन्य जरूरी जांच के लिए सैंपल जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा। यहां तैनात डॉक्टर गंभीर रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह ले सकेंगे। कैंसर रोगियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। हादसों में घायल होने वालों का भी उपचार किया जाएगा।
भवनों की तलाश जल्द हो जाएगी पूरी - CMO
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने बताया कि "आरोग्य मंदिरों के लिए भवनों की तलाश की जा रही है। दो केंद्रों के लिए भवन का चयन अंतिम चरण में है। कुछ स्थानों पर भवन देखे गए हैं। अधिकारियों को जल्द फाइनल करने के निर्देश दिए गए हैं, जल्द ही आरोग्य मंदिरों का संचालन शुरू करा दिया जाएगा।"