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Sonbhadra News : विभागीय मेहरबानी से फल-फूल रहा अवैध हॉस्पिटलों व पैथोलॉजी लैब का गोरखधंधा

जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के कई हॉस्पिटल, अल्ट्रासाउंड सेंटर और पैथालाजी लैब धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इनके पास न तो प्रशिक्षित चिकित्सक हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी, फिर भी बुखार से लेकर आपरेशन...

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मानक विहीन संचालित अवैध हॉस्पिटल..

sonbhadra

4:03 AM, February 11, 2025

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आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)

कार्यवाही के नाम पर स्वास्थ्य विभाग करता है महज कागजी खानापूर्ति 

सोनभद्र । जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के कई हॉस्पिटल, अल्ट्रासाउंड सेंटर और पैथालाजी लैब धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इनके पास न तो प्रशिक्षित चिकित्सक हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी, फिर भी बुखार से लेकर आपरेशन तक का जिम्मा उठाकर मरीजों की जान जोखिम में डालने से नहीं चूकते हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नियम विरुद्ध संचालित इन अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब और अल्ट्रासॉउन्ड सेंटरों के विरुद्ध कार्यवाही का दावा जरूर करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट नजर आती है। जिले में आये दिन नए-नए हॉस्पिटल और पैथोलॉजी लैब का उद्घाटन होता रहता है जबकि ऐसा भी नहीं कि इन अस्पतालों व लैब्स के बारे में विभाग अनभिज्ञ हैं क्योंकि इनके बरदहस्त व मेहरबानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है।

पंजीकृत अस्पतालों व पैथोलॉजी लैब का विभाग के पास नहीं है कोई आंकड़ा -

जिले में पंजीकृत हॉस्पिटल और पैथोलॉजी लैब के आकड़ों की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास खुद इसका सही आकड़ा मौजूद नहीं मिलेगा लेकिन गांव से लेकर शहर तक कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली में अस्पताल, पैथालाजी सेंटर व डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहे हैं और तो और कई ऐसे भी हैं, जो आगे मेडिकल की दुकान चला रहे हैं और पीछे दो कमरों में पूरा नर्सिंग होम संचालित कर रहे हैं। इन अस्पतालों में कोई डिग्री धारक चिकित्सक भी नहीं है। लेकिन हर तरह के मरीजों को भर्ती कर उनका आर्थिक शोषण के अलावा जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन अस्पतालों पर अक्सर सप्ताह में एक मौत चिकित्सकों की लापरवाही से होने की बात को लेकर विवाद होता है, लेकिन धीरे-धीरे मामला ठंडा हो जाता है। रॉबर्ट्सगंज, मारकुण्डी, चोपन, घोरावल, दुद्धी, ओबरा, रामगढ़, म्योरपुर सहित जिले का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है।

अधिकारियों और संचालकों के बीच अनुबंध के बाद बेखौफ़ होकर संचालित होते हैं अवैध अस्पताल व पैथोलॉजी लैब -

दरअसल जिले में झोलाछाप चिकित्सक लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कई हादसों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग मौन साधे हुए है। वहीं दूसरी ओर झोलाछाप चिकित्सकों का सिंडिकेट विभागीय संरक्षण में तेजी से फलफूल रहा है जबकि कार्यवाही के नाम पर हर साल स्वास्थ्य विभाग नोटिस का तामिला कराकर मामले से इतिश्री कर लेता है। वहीं चर्चाओं की माने तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व हॉस्पिटल संचालकों के बीच आपसी एक प्रति माह का आर्थिक अनुबंध है, इसी आधार पर ऐसे हॉस्पिटल बेरोक-टोक संचालित होते हैं। ऐसे हॉस्पिटलों व पैथोलॉजी लैब की जांच और कार्यवाही के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने बकायदा नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी की है बावजूद इसके हॉस्पिटलों व पैथोलॉजी संचालक बेखौफ़ होकर मरीजों की जान के साथ साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं ऐसे हॉस्पिटलों व पैथोलॉजी की जाँच नहीं किए जाने से जहाँ स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता है, वहीं आम जनता की जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

बगैर पंजीयन नहीं संचालित होने दिया जायेगा हॉस्पिटल, पैथोलॉजी लैब व अल्ट्रासॉउन्ड सेंटर - सीएमओ

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने कहा कि "अस्पतालों, पैथालाजी सेंटरों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बड़ी संख्या में अस्पतालों, पैथालाजी सेंटरों को सीज कर इनके संचालकों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। वहीं चार हॉस्पिटलों का पंजीयन भी निरस्त किया गया है। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी अस्पताल, पैथालाजी सेंटर नहीं संचालित हो सकते हैं।"

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