Sonbhadra News :....आखिर पीएचसी तक कैसे पहुँची 'एक्सपायरी डेट' की दवा, दो सदस्यी टीम ने शुरू की जाँच
चतरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे के टीकाकरण के बाद संभावित बुखार की एक्सपायर दवा देने के मामले की स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। सीएमओ ने पुरे मामले की जाँच के लिए अपर मुख्य.....

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 पंकज कुमार राय.....
sonbhadra
7:30 AM, December 13, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । चतरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे के टीकाकरण के बाद संभावित बुखार की एक्सपायर दवा देने के मामले की स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। सीएमओ ने पुरे मामले की जाँच के लिए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम गठित की है साथ ही दावा किया है कि दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
बताते चलें कि बुधवार को चतरा ब्लॉक के ओरगाई गांव निवासी अभिनंदन अपने चार माह के शिशु शिवांश को नियमित टीकाकरण के लिए लेकर पीएचसी चतरा पहुंचे थे। टीका लगाने के बाद स्टाफ ने बच्चे को बुखार आने की आशंका बताकर पैरासिटामोल सिरप दे दिया था। घर पहुंचने पर परिजनों की नजर पड़ी तो शीशी पर उत्पादन तिथि जून 2023 और एक्सपायरी मई 2025 दर्ज थी।
परिजनों ने तुरंत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। मामले का शासन स्तर से संज्ञान लिए जाने के बाद शुक्रवार की सुबह नौ बजे ही प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ0 सतीश पटेल के नेतृत्व में एक टीम अभिनंदन के घर पहुंची और इस बारे में जानकारी ली। परिजनों ने अस्पताल के ओपीडी के दवा वितरण काउंटर से दवा दिए जाने की बात कही।
सीएमओ डॉ0 पंकज कुमार राय ने अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 जीएस यादव और अस्पताल पंजीकरण के नोडल अधिकारी डॉ0 कीर्ति आजाद बिंद को मामले की जांच की जिम्मेदारी देते हुए तीन दिनों में रिपोर्ट तलब किया है। इसके साथ सीएमओ ने पीएचसी प्रभारी और फार्मासिस्ट से स्पष्टीकरण तलब किया है। उनसे स्टाॅक विवरण, डिमांड सहित अन्य दस्तावेज तलब किए गए हैं।
वहीं सीएमओ द्वारा गठित जाँच टीम ने दोपहर में चतरा पीएसी पहुंचकर दवा वितरण काउंटर और स्टोर रूम की जांच की तथा बच्चे के परिजनों से भी मुलाकात की।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 पी0के0 राय ने बताया कि "मामले की जाँच के लिए दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है, टीम ने जांच की है। चतरा पीएचसी को इस बैच की दवा कभी आवंटित नहीं हुई थी। ऐसे में यह दवा किन परिस्थितियों में वितरित हुई, जांच रिपोर्ट के बाद भी स्पष्ट होगा। मामले में जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।"
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि ज़ब पीएचसी में इस बैच की दवा कभी भेजी ही नहीं गई तो यह दवा अस्पताल के दवा वितरण काउंटर तक कैसे पहुँची, वहीं छह माह से एक्सपायर दवा फार्मेसी पर उपलब्ध थी तो इस पर किसी की नजर क्यूं नहीं पड़ी। आखिर छह माह में कितने बच्चों को यह दवा दी गई होगी, यह भी सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों की घोर लापरवाही उजागर करता है। ऐसे में अब जाँच टीम की रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो पायेगा कि आखिर एक्सपायर दवा हॉस्पिटल तक कैसी पहुंची।



