Sonbhadra News : भगवान भरोसे जिले का 'हेल्थ सिस्टम', कहीं मरीजों को नहीं मिल रहा बेड तो कहीं जला दी जा रही हैं दवाएं
आकांक्षी जिलों में शामिल जनपद सोनभद्र की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं। इन दिनों जिले के अलग-अलग क्षेत्रों के दो वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसके कारण जिले के स्वास्थ्य..

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11:23 PM, July 26, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । आकांक्षी जिलों में शामिल जनपद सोनभद्र की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं। इन दिनों जिले के अलग-अलग क्षेत्रों के दो वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसके कारण जिले के स्वास्थ्य महकमें की खासी किरकिरी हो रही है। हालांकि जनपद न्यूज़ live इस वायरल वीडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। वहीं वायरल वीडियो की जानकारी मिलने पर मुख्य चिकित्साधिकारी जाँच कर कार्यवाही की बात कह रहे हैं।
वैसे तो सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत दुरुस्त करने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है। बावजूद इसके अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो पा रहा है। यह असल तस्वीर है अस्पतालों की। जिम्मेदारों की घोर लापरवाही से स्वास्थ्य व्यवस्था तार-तार हो चुकी है। रोगियों की सिसकियों पर लालफीताशाही भारी पड़ रही है। दोनों वायरल वीडियो सरकार और स्वास्थ्य महकमें के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की पोल खोल रही है। जहाँ पहला वीडियो रॉबर्ट्सगंज के लोढ़ी स्थित पीपीपी मॉडल पर संचालित 100 बेड मातृ एवं शिशु विंग का है। 1.03 मिनट के वायरल वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा रहा है कि नीले रंग की प्लास्टिक बैग में भरे हुए कैथेटर पाइप, गैवेज ट्यूब और सिरिंज भरे हुए थे और उस बैग में एक कर्मचारी आग लगा देता है जबकि मेडिकल वेस्ट उठान के लिए टेंडर किया गया है।
वहीं दूसरा वीडियो आदिवासी क्षेत्र स्थित सीएचसी दुद्धी का है जहाँ 42 सेकेण्ड के इस वायरल वीडियो में दो मरीज वोटिंग हॉल में लेटे दिखाई दे रहे हैं। जिन्हें ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा है जबकि एक मरीज बैठा है और उसे भी ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने बताया कि "आज मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है, पुरे मामले की जाँच कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।"
बताते चलें कि दो दिनों पूर्व ही डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने ऐसे ही लापरवाही पर कड़ी कार्यवाही करते हुए तीन डॉक्टरों को निलंबित करते हुए अन्य तीन के विरुद्ध विभागीय जाँच के आदेश दिए हैं। ऐसे में अब देखने वाली बात ऐसी गंभीर मामले में कोई कार्यवाही होती है या फिर मामले को ठंडे बस्ते में दाल दिया जाता है।