Sonbhadra News : जिले में ठेले पर स्वास्थ्य सेवाएं! मंत्री के दावों की खुली पोल
भले ही यह दावा करते हैं कि प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है। गरीब वर्ग का खास ख्याल रखा जा रहा है। गरीब या सामान्य जरूरतमंद लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में एम्बुलेंस व चिकित्सा व्यवस्था..

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6:13 AM, February 23, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । रहनुमा भले ही यह दावा करते हैं कि प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है। गरीब वर्ग का खास ख्याल रखा जा रहा है। गरीब या सामान्य जरूरतमंद लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में एम्बुलेंस व चिकित्सा व्यवस्था तक के भी बेहतर इंतजाम किए गए हैं किंतु इन सभी बातों को हवा-हवाई और सियासी जुमलों के तौर पर ही देखा जा रहा है। जनपद की स्वास्थ्य सेवाएं दिन प्रतिदिन गिरती जा रही हैं। इसकी बानगी हम आपको इन दो तस्वीरों से दिखाने की कोशिश करेंगे।
पहली तस्वीर जिले के प्रभारी मंत्री की है जो शनिवार को एक निजी होटल में बैठ कर केंद्र व प्रदेश सरकार के बजट को लेकर कसीदे पढ़ रहे थे और प्रदेश के बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं का गुणगान कर रहे हैं जबकि दूसरी तस्वीर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत और प्रभारी मंत्री के दावों की पोल खोल रही है।
कहने को तो जिले में 46 एम्बुलेंस संचालित हो रही हैं लेकिन जिला में स्वास्थ्य सेवाओं की हालात इतनी खराब हो चुकी है कि गंभीर मरीजों को भी इनका का लाभ नहीं मिल रहा है। लोग किसी तरह से मरीजों को अस्पताल तक लेकर आ रहे हैं और ऐसे में कई बार देखने को मिला है कि इलाज में देर होने के चलते कई मरीजों के साथ अनहोनी भी हुई है। ऐसा ही कुछ शनिवार को भी देखने को मिला। ज़ब मरीज को ठेले पर ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा।
मिली जानकारी के अनुसार रॉबर्ट्सगंज विकास खंड अंतर्गत तिलौली निवासी मरीज मालती देवी (54वर्ष) के घर से जिला अस्पताल से 5-6 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां से परिजनों ने ठेले पर लादकर पैदल हो मालती को जिला अस्पताल पहुंचाया। वहीं इस घटना को लेकर मरीज के पुत्र राकेश कुमार का कहना है कि "दो माह पूर्व वाराणसी के एक निजी हॉस्पिटल में उनकी मां का ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था और आज वह उनका टांका कटवाने के लिए जिला अस्पताल ले जा रहे थे। वह एंबुलेंस कॉल करके थक गए लेकिन कॉल नहीं लगा तो वह ठेले से ही अपनी मां को अस्पताल पहुँचाया। उन्होंने कहा कि यदि एम्बुलेंस मिल भी जाती तो अस्पताल ले जाकर छोड़ देती है फिर वापस घर तक आने के लिए ऑटो को पैसा देना पड़ता है लेकिन उन लोगों के पास ऑटो वाले को देने के लिए भी पैसा नहीं है इसलिए वह ठेले पर ही अपनी मां को लेकर अस्पताल आ गए।"
बहरहाल प्रभारी मंत्री तो बजट और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कसीदे पढ़ कर वापस लौट गए लेकिन जिले की बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए मात्र एक जवाब दे गए देखवाते हैं। ऐसे में जनपदवासियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मयस्सर होना दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है।