Sonbhadra News : सरकारी अस्पताल में प्रसूता से लिया गया सुविधा शुल्क, सीएमओ ने बैठाई जाँच
जहां एक तरफ सरकारी अस्पताल में गरीबों को बेहतर सुविधा के साथ बेहतर उपचार देने के लिए सरकार प्रयासरत है, वहीं दूसरी तरफ सरकार के इस प्रयास क़ो पालिता लगाकर अपनी झोली भरने में स्वास्थ्यकर्मी तनिक.....

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9:18 PM, June 10, 2025
आनन्द कुमार चौबे/रमेश यादव (संवाददाता)
सोनभद्र । जहां एक तरफ सरकारी अस्पताल में गरीबों को बेहतर सुविधा के साथ बेहतर उपचार देने के लिए सरकार प्रयासरत है, वहीं दूसरी तरफ सरकार के इस प्रयास क़ो पालिता लगाकर अपनी झोली भरने में स्वास्थ्यकर्मी तनिक भी नहीं हिचकते हैं। हकीकत तो यह है कि आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में बगैर सुविधा शुल्क दिए नवजात अपनी मां की कोख से उसकी गोंद में नहीं आ सकता। ऐसा ही एक वाकया आज देखने क़ो मिला ज़ब एक महिला ने सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों पर पैसा लेकर उसकी पुत्री का प्रसव कराने का आरोप लगा पुरे स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मचा दिया।
प्रसव के नाम पर माँगा गया तीमारदारों से दो से तीन हजार रूपये -
रन्नु निवासी भागमति पत्नी राजेश ने बताया कि वह सोमवार क़ो बीडर निवासी अपनी पुत्री श्रेया देवी पत्नी राजेंद्र प्रसाद का प्रसव कराने के लिए एक दिन पूर्व सीएचसी दुद्धी में भर्ती हुई थी, वहीं प्रसव के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने महिला से तीन हजार रूपये की डिमांड की। महिला द्वारा असमर्थता जताने पर 1800 रूपये में बात बनी जिसपर महिला ने किसी अन्य से उधार लेकर एक बार 1500 रूपये और दूसरी बार में 300 रुपये और स्वास्थ्यकर्मी क़ो दिए तब कहीं जाकर उसकी पुत्री का प्रसव कराया गया। महिला ने मामले की जाँच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
वहीं दुसरा मामला दीघुल निवासी शमा बानो पत्नी फिरोज आलम सोमवार को दोपहर में नवजात को जन्म दिया। वहीं शमा बानो के परिजनों से 2000 रूपये की नजराने के तौर पर डिमांड की गई लेकिन 1500 रूपये लेने के बाद ही प्रसव कराया गया। पीड़ित परिजनों ने जाँच के बाद कार्यवाही की मांग की है।
प्रसूता महिलाओं ने खोली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल -
वहीं वार्ड में भर्ती अन्य प्रसूताओं ने अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलते हुए बताया कि उन्हें अब तक न तो नास्ता और ना ही भोजन उपलब्ध कराया गया है। जबकि सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिला को नाश्ता, दूध और भोजन देने का प्रावधान है। नार्मल डिलीवरी में प्रसूता को कम से 48 घंटे तथा आपरेशन की स्थिति में सात दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना होता है। उनकी सेहत के मद्देनजर खानपान की व्यवस्था के लिए जिला स्वास्थ्य समिति की तरफ से बकायदा ठेकेदार की नियुक्त की गई है, इनके माध्यम से भोजन वितरण किया जाता है लेकिन यह व्यवस्था यहां कर्मचारियों की मानमानी की शिकार हो गई है। यहीं नहीं जननी सुरक्षा योजना में भी 800 रुपये की मांग प्रसूताओं से की जाती है।
सोमवार क़ो आशा संगठन ने भी सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं से अवैध धन उगाही का लगाया था आरोप -
बताते चलें कि सोमवार क़ो कलेक्ट्रेट पर आशा कार्यकर्तियों ने प्रदर्शन कर जिले के सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं से अवैध वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इसी कारण से निजी हॉस्पिटलों में ज्यादा से ज्यादा प्रसव होता है और ऐसी स्थिति में आशाओं क़ो कार्यवाही झेलने होती है।
बोले सीएमओ, जाँच के बाद होगी कार्यवाही -
वहीं मुख्य चिकित्साधकारी डॉ0 अश्वनी कुमार ने बताया कि "मामला संज्ञान में आया है, ACMO रैंक के अधिकारी क़ो जाँच सौंपी गई है। 24 घंटे में जाँच रिपोर्ट तलब किया गया है, वहीं जाँच में जो भी दोषी पाया जायेगा, उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।"