Sonbhadra News : बिजली के निजीकरण के खिलाफ भाकपा कार्यकर्ताओं का कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यव्यापी आवाहन पर जिला कौंसिल सोनभद्र के कार्यकर्ताओं ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ जुलूस निकाल कर जिला मुख्यालय पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।

बिजली के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते भाकपा कार्यकर्ता
Whatsapp चैनल फॉलो करे !शान्तनु कुमार
सोनभद्र । गुरुवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यव्यापी आवाहन पर जिला कौंसिल सोनभद्र के कार्यकर्ताओं ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ जुलूस निकाल कर जिला मुख्यालय पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया और बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने, सांकेतिक हड़ताल के दौरान हटाये गए संविदा कर्मियों को बहाल करने, उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगाने आदि छ मांगों को लेकर प़दर्शन किया और महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
जहां पार्टी नेताओं ने धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यव्यापी आवाहन पर जिला कौंसिल सोनभद्र, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ इस धरना/ प्रदर्शन के माध्यम से कहना चाहते हैं कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय व्यापक जनहित में एवं बिजली उपभोक्ताओं तथा बिजली कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए वापस लिया जाये।
निजीकरण की दृष्टि से बिजली कर्मियों की रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने हेतु स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश को तत्काल वापस लिया जाये।
निजीकरण की दृष्टि से बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों को हटाये जाने का आदेश निरस्त किया जाये। मार्च 2023 में सांकेतिक हड़ताल के दौरान हटाये गये सभी संविदा कर्मियों को उर्जा मंत्री के 19 मार्च 2023 की घोषणा एवं समझौते के पालन में तत्काल काम पर रखा जाये, साथ ही उर्जा मंत्री के 19 मार्च 2023 की घोषणा व समझौते के क्रियान्वयन में बिजली कर्मचारियों पर की गयी समस्त कार्यवाहियां वापस ली जायें।
2× 800 मेगावाट क्षमता की ओबरा 'डी' परियोजना एवं 2× 800 मेगावाट क्षमता की अनपरा ' ई ' परियोजना का कार्य व्यापक जनहित में उ. प्र. राज्य विद्युत उत्पादन निगम को पूरी तरह सौंपा जाये।
पारेषण में टेरिफ बेस्ड कॉम्पटीटिव बिडिंग के नाम पर कई परियोजनाओं का निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाये।
29 जनवरी 2000 के समझौते के अनुरूप उ. प्र. राज्य विद्युत परिषद परिषद के विघटन के फलस्वरूप हुई भारी क्षति को देखते हुए उ. प्र. पावर कारपोरेशन लि. उ.प्र. , जल विद्युत निगम लि. उ. प्र. , राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. उ. प्र. पारेषण निगम लि. और समस्त विद्युत वितरण निगमों का एकीकरण कर यू. पी. एस. ई. बी. लि. का पुनर्गठन किया जाये ।
इस दौरान प्रमुख रूप से पार्टी जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, जिला कार्यकारिणी सदस्य कामरेड बसावन गुप्ता, कामरेड चंदन प्रसाद, कामरेड रामजतन, कामरेड अमरनाथ सूर्य, कामरेड संजय रावत, सूरज बंसल, ज्योति कुमार, नितेश कुमार मौर्य, ज्ञान प्रकाश, सुजित सिंह, राजेश सिंह, विरेन्द्र सिंह गोंड,राज कुमार, रमेश, लीलाधर विश्वकर्मा, मैनेजर, मुन्ना सिंह खरवार, अमरनाथ अगरिया, पंचू यादव, दूर्योधन व गुलाब धांगर आदि के साथ साथ दर्जनों की संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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