Sonbhadra News: कोक्लियर इम्प्लांट मूक बधिर बच्चों के लिए बना वरदान
बचपन से बोलने और सुनने में कमजोर मूक बधिर बच्चों के लिए कोक्लियर इम्प्लांट वरदान साबित हो रहा है। सफल प्रत्यारोपण के बाद दो मूक बधिर बच्चों को स्पीच थेरेपी और संकेतों से बोलना सिखाया। यह सरकार......

जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी विद्या देवी.....
sonbhadra
3:05 PM, June 4, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । बचपन से बोलने और सुनने में कमजोर मूक बधिर बच्चों के लिए कोक्लियर इम्प्लांट वरदान साबित हो रहा है। सफल प्रत्यारोपण के बाद दो मूक बधिर बच्चों को स्पीच थेरेपी और संकेतों से बोलना सिखाया। यह सरकार की मदद से संभव हो सका है।
पिछले तीन वर्षों में दो बच्चों की हुई कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी -
कोक्लियर इम्प्लांट एक ऐसी मशीन है, जो कान के पीछे ऑपरेशन करके लगाई जाती है। इससे 2 से 5 साल के मूक बधिर बच्चों को बाेलने में काफी सहूलियत मिलती है। जन्म के समय ही बच्चों की स्कैनिंग की जाती है। सुनने और बोलने की क्षमता कितनी है, इसका पता लगाया जाता है। फिर दो या पांच साल के बीच में बोलने और सुनने में कमजोर बच्चों का कोक्लियर इम्प्लांट किया जाता है। इसके बाद प्रत्यारोपण वाले बच्चों को स्पीच थेरेपी और संकेतों के माध्यम से एक या डेढ़ साल तक बोलना सिखाया जाता है, ताकि कोक्लियर इम्प्लांट उपकरण से उन्हें बोलने में आसानी हो सके। इस मशीन को क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। वर्तमान में जिले के दो मूक बधिर बच्चों में कोक्लियर इम्प्लांट का सफल प्रत्यारोपण किया जा चुका है। इसमें तेंदु निवासी विजेंद्र कुमार का पुत्र शिवम पाल और चुर्क फैक्ट्री निवासी शिवमोहन की पुत्री अदिति शर्मा शामिल हैं। शिवम और अदिति जन्म से ही मूक बधिर थे, लेकिन कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के बाद ये बोल और सुन सकते हैं।
छह लाख रुपये की मदद करती है सरकार -
आमतौर पर जन्म लेने वाले हजार बच्चों में से कोई तीन किसी न किसी प्रकार से बहरेपन का शिकार होते हैं। जन्म के दौरान यदि सतर्कता बरती जाए तो एक भी बच्चा मूक बधिर नहीं रहेगा। कोक्लियर इम्प्लांट के बाद इन बच्चों की यह समस्या खत्म हो जाएगी। सरकार इसकी सर्जरी के लिए प्रति बच्चा छह लाख रुपये की मदद करती है। बीते सप्ताह आगरा में इसी को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसमें अधिकारियों ने अभिभावकों से अपील की कि वह बच्चे के जन्म के दौरान बहरेपन का परीक्षण कराएं, ताकि आगे चलकर किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़े।
जिले में नहीं होता बेरा टेस्ट, कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी में उत्पन्न हो रही बाधा -
देश के पिछड़े जनपद में शामिल जनपद सोनभद्र में बीते दो वर्षों से कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए लाभार्थी नहीं मिल रहे हैं, आखिरी सर्जरी 2023 में हुई है। सूत्रों की माने तो जिले में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए लाभार्थी नहीं मिल पाने का सबसे बढ़ा कारण बेरा टेस्ट का नहीं होना माना जा रहा है।
सर्जरी के बाद बच्चों क़ो सुनने व बोलने में मिली सफलता -
दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी विद्या देवी ने बताया कि "बीते तीन वर्षों में दो मूक बधिर बच्चों का परीक्षण के बाद कोक्लियर इम्प्लांट किया गया है। ये बच्चे जन्मजात मूक बधिर थे। सफल सर्जरी के बाद दोनों बच्चों को सुनने और बोलने में सफलता मिली है, यह सरकार की मदद संभव हो सका है।"