Sonbhadra News : सोनभद्रवासियों के 'दिल' की पुकार, अब तो एक कार्डियोलाजिस्ट भेज दो सरकार
बेहतर स्वास्थ्य संसाधनाें और सेवाओं के दावों के बीच जिले में जमीनी हकीकत इससे जुदा है। 21 लाख की आबादी वाले जिले में दिल के मरीजों का उपचार करने के लिए कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसे में हृदय रोगियो....

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12:28 AM, September 30, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । बेहतर स्वास्थ्य संसाधनाें और सेवाओं के दावों के बीच जिले में जमीनी हकीकत इससे जुदा है। 21 लाख की आबादी वाले जिले में दिल के मरीजों का उपचार करने के लिए कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसे में हृदय रोगियों को इलाज के लिए वाराणसी की दौड़ लगानी पड़ती है। वहीं समय से बीमारी की पहचान न होने से हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
वाराणसी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं हृदय रोगी -
देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल जनपद सोनभद्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के ढेरों दावे शासन व प्रसाशन की तरफ से किया जाता है लेकिन सभी दावे अब तक हवाई ही साबित होते दिख रहे हैं। यहीं नहीं लगभग दो वर्ष पूर्व जिले के दौरे पर आये उपमुख्यमंत्री/स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने तो बकायदा जल्द से जल्द हृदय रोग विशेषज्ञ के तैनाती का वादा किया था लेकिन वो भी महज राजनैतिक स्टंट ही साबित हुआ। ऐसे में अनियमित खान-पान व दिनचर्या के कारण हृदयरोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में जिले के लोगों को जरा-सी असावधानी मुश्किल में डाल रही है। जिले के सरकारी अस्पतालों में कोई कार्डियोलाजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को आर्ट अटैक की जानकारी समय से नहीं हो पाती है। हृदय रोगियों के उपचार की बात करें तो जिला अस्पताल में तैनात फिजिशियन ही प्राथमिक उपचार कर रहे हैं। विशेषज्ञ न होने से ज्यादातर मरीजों में हार्ट अटैक की पहचान नहींं हो पाती है। अगर गंभीर रोगी आ जाए और पहचान हो भी जाए तो उसको प्राथमिक उपचार देकर वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। अधिकांश मरीज जिला अस्पताल से वाराणसी की 100 किमी की दूरी तय कर पाने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।
दस वर्षों से डॉक्टर व मशीनों की बाट जोह रहा हार्ट केयर यूनिट -
जिला संयुक्त चिकित्सालय परिसर में करीब दस साल पूर्व हार्ट केयर यूनिट बनी थी। आज तक यहां न कोई मशीन पहुंची और न कोई डॉक्टर। ऐसे में वर्तमान में यूनिट भवन का उपयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है। इसके बाद प्रदेश में तीन दलों की सरकारें शासन कर चुकी हैं, मगर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित वाराणसी के अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं। दम तोड़ते मरीजों की पुकार कोई नहीं सुनता।
ऐसे पहचानें हार्ट अटैक -
जिला अस्पताल में तैनात फिजिशियन डॉ0 एस0एस0 पांडेय के मुताबिक, "हृदयाघात के लक्षण सीने में दर्द या अचानक पसीना आना है। कंधे में दर्द भी हृदय रोग का लक्षण होता है। शुगर मरीजों में अधिकांश के हृदयाघात में दर्द नहीं होता। केवल उन्हें अचानक पसीना आने लगता है। घबराहट व बेचैनी के अलावा कभी-कभार उल्टी होने लगती है।यदि यह स्थिति पैदा हो तो तत्काल चिकित्सक के संपर्क में आ जाएं। जितनी जल्दी हो सके मरीज को चिकित्सालय में पहुंचा दें, जहां उनका इलाज शुरू हो सके। हृदयाघात वाले मरीजों के लिए हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। जिले में हार्ट के मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर किया जाता है।"
कार्डियोलाजिस्ट की मांग को लेकर शासन से किया गया है पत्राचार -
सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार ने बताया कि "हार्ट के डॉक्टर के लिए कई बार उच्चाधिकारियों और शासन को पत्र लिखे गए। लेकिन डॉक्टर नहीं मिल सका। एक बार फिर से पत्र भेजकर हार्ट के डॉक्टर की मांग की जा रही है।"