Sonbhadra News : राजस्व मुकदमें में बैकडेटिंग का खेल आया सामने, SDM ने तहसीलदार व पेशकार से किया स्पष्टीकरण तलब
सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज तहसील में राजस्व मुकदमे के निस्तारण को लेकर हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि एक पत्रावली स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन पर एसडीएम ने तहसीलदार.....

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आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । जमीनी विवाद क़ो लेकर जहाँ सोनभद्र में उभ्भा जैसा नरसंहार हो चुका है और आये दिन जमीनी विवाद में मारपीट और हत्याओं के मामले सामने आते रहते हैं। जिसको देखते हुए जहां सरकार राजस्व मुकदमों के समय से और गुणणवत्तापूर्ण निस्तारण पर जोर दे रही है, वहीं, अधिकारियों की करगुजारियों की वज़ह से जमीनी विवाद सुलझने के बजाय और उलझ जाते हैं और बाद में बढ़ी घटनाओं का रूप ले लेते हैं।
ताज़ा मामला सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज तहसील में राजस्व मुकदमे के निस्तारण को लेकर हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि एक पत्रावली स्थानांतरण के लिए दिए गए आवेदन पर एसडीएम ने तहसीलदार न्यायालय से जानकारी मांगी तो आख्या/रिपोर्ट भेजी गई कि पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है लेकिन जब पत्रावली एसडीएम के सामने पहुंचा तो पता चला कि उसमें आख्या देने के पूर्व की तिथि में निर्णय पारित किया जा चुका है। इसको गंभीरता से लेते हुए जहां तहसीलदार और उनके पेशकार से जवाब तलब किया गया है। वहीं, क्यों न उनके खिलाफ एडवर्स इंट्री (प्रतिकूल प्रविष्टि) की कार्यवाही की जाए, इसको लेकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
यह है पूरा मामला -
जानकारी के अनुसार, जमीन से जुड़े एक मामले में अधिवक्ता के जरिए एसडीएम की अदालत में यूपी राजस्व संहिता 2006 की धारा 212 (2) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। मांग की गई कि, उनसे जुड़ा प्रकरण तहसीलदार के न्यायालय में लंबित है। तहसीलदार न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए पत्रावली दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित की जाए। इस पर एसडीएम की ओर से तहसीलदार न्यायालय से पत्रावली के स्थिति की जानकारी मांगी गई। बताया जा रहा है कि गत 26 मार्च को इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें कहा गया पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है। आख्या आने के बाद जब एसडीएम ने आगे की कार्यवाही के लिए पत्रावली तलब की तो पता चला कि, जिस तिथि को आख्या भेजी गई, पत्रावली में उससे पांच दिन पहले ही निर्णय पारित हो चुका है।
आदेश में है पत्रावली सुरक्षित लेकिन बैकडेट में कर दिया है आर्डर -
गत नौ अप्रैल को प्रकरण की उप जिलाधिकारी के न्यायालय में सुनवाई हुई। प्रकरण की सुनवाई कर रहे पीठासीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी उत्कर्ष द्विवेदी की अदालत ने पाया कि प्रकरण को लेकर मांगी गयी जानकारी में तहसीलदार न्यायालय ने लिखा कि पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित है, जबकि पत्रावली के अवलोकन से यह पाया गया कि आदेश पहले ही हो चुका है। आदेश पारित किया कि न्यायालय को गुमराह करने के लिए तहसीलदार एवं पेशकार को स्पष्टीकरण तलब किया जाए कि क्यों उनके विरूद्ध एडवर्स इंट्री न दी जाय। आवश्यक कार्यवाही करने के बाद पत्रावली दाखिल दफ्तर करने के लिए कहा गया।
तहसीलदार का मोबाइल मिला स्वीच ऑफ -
इस संबंध में ज़ब तहसीलदार अमित सिंह से उनके सीयूजी नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका नंबर स्वीच ऑफ आया लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।

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