Sonbhadra News : लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी बेखौफ़ संचालित हो रहे निजी हॉस्पिटल
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करते हो लेकिन जनपद सोनभद्र में स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी डिप्टी सीएम के इन दावों को ठेंगा....

लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी संचालित निजी अस्पताल...
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7:44 AM, February 13, 2025
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करते हो लेकिन जनपद सोनभद्र में स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी डिप्टी सीएम के इन दावों को ठेंगा दिखाने में जरा भी गुरेज नहीं कर रहे। जनपद सोनभद्र के स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिसमें विभागीय लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
बीते वर्ष के अक्टूबर और नवम्बर माह में सीएमओ डॉ0 अश्वनी कुमार ने आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों का लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करने पर निरस्त कर दिया गया था साथ ही नोडल अधिकारी ने मौके पर पहुँचकर इन सभी हॉस्पिटलों को सीज भी किया था लेकिन इसके बावजूद इन अस्पतालों का गुपचुप तरीके से संचालन जारी है। महकमे की निष्क्रियता का फायदा उठाकर ये अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मरीजों की जान साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
लाइसेंस निरस्त होने के बावजूद संचालित मिले निजी अस्पताल -
जनपद न्यूज़ live की टीम ने दो दिन पूर्व लाइसेंस निरस्त हुए तीन अलग-अलग अस्पतालों का पड़ताल किया, इस दौरान किसी भी अस्पताल में ताला नहीं मिला। टीम सबसे पहले चोपन स्थित बालाजी हॉस्पिटल पहुंची जहाँ हॉस्पिटल के नाम का बोर्ड नहीं मिला लेकिन अंदर मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। इसके बाद टीम रॉबर्ट्सगंज स्थित तृषा हॉस्पिटल पहुँची, जहाँ तृषा हॉस्पिटल के नाम का बोर्ड लगा मिला साथ ही हॉस्पिटल का मेन गेट खुला मिला, अंदर कुछ लोग भी मौजूद थे। टीम इसके पश्चात टीम रॉबर्ट्सगंज स्थित सद्गुरु हॉस्पिटल पहुँची जहाँ नर्सें बाहर धुप सकती नजर आईं, वहीं कुछ भर्ती मरीज और उनके तिमारदार हॉस्पिटल के अंदर दिखे।
बताते चलें कि बीते वर्ष अक्टूबर, नवम्बर माह में डीएम के निर्देश पर सदर एसडीएम उत्कर्ष द्विवेदी के नेतृत्व में एसीएमओ डॉ0 कीर्ति आजाद बिन्द के नेतृत्व में टीम ने नगर व आस-पास में संचालित अस्पताल, क्लीनिक की जांच की थी। इसमें खामियां मिलने पर नोडल अधिकारी ने रॉबर्ट्सगंज स्थित आकृति सर्जिकल एंड ट्राॅमा सेंटर, तृषा अस्पताल, सोनगंगा हाॅस्पिटल, संकेत हॉस्पिटल, सद्गुरु हॉस्पिटल, दुर्गा पाली क्लिनिक और चोपन स्थित बालाजी हाॅस्पिटल को नोटिस दिया था। इसी के साथ रॉबर्ट्सगंज स्थित पब्लिक पैथोलाॅजी, घोरावल बाजार स्थित एसके पैथोलॉलजी और एक क्लीनिक को भी नोटिस जारी किया था। तय समय सीमा में समुचित जवाब न देने पर सीएमओ ने इन सभी का पंजीकरण निरस्त कर हॉस्पिटल को सील करने का आदेश दिया था, जिससे मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न पड़ सके। इसके बावजूद, इन अस्पतालों के संचालकों ने सीएमओ के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अपने अस्पतालों का संचालन जारी रखा है। वहीं महकमा भी इस पर कोई ठोस कदम उठाने से बच रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल -
स्थानीय निवासियों ने इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त किया गया है, तो प्रशासन को तुरंत प्रभाव से इन अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके बजाय, इन अस्पतालों का संचालन जारी रखा जा रहा है, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है।
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया “यदि कोई अस्पताल मानकों का उल्लंघन करता है और उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाता है, तो उसे किसी भी हालत में संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह मामला गंभीर है और प्रशासन को इसे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।”
आखिरकार कौन है मैनेज गुरु -
लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी अस्पतालों के संचालन से यह स्पष्ट हो रहा है कि जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, वहीं इन निजी अस्पतालों के संचालन कहीं न कहीं किसी मैनेज गुरु की तरफ भी इशारा कर रही है। ऐसे में अब मुख्य चिकित्साधिकारी के सामने इन अस्पतालों पर लगाम लगाने के साथ ही अस्पतालों और विभागीय साँठगांठ कराने वाले मैनेज गुरु की भी तलाश भी एक चुनौती होगी।