श्रावण मास के चौथे सोमवारी पर उमड़ा शिवभक्तों का रेला
श्रावण मास के चौथे सोमवारी को शिवभक्तों ने किया जलाभिषेक

sonbhadra
5:01 PM, August 12, 2024
धर्मेन्द्र गुप्ता(संवाददाता)
विंढमगंज(सोनभद्र)। श्रावण मास के चौथे सोमवारी पर क्षेत्र के बिभिन्न शिवालयों में आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा।पौ फटते ही महिलाओं का हुजूम शिवालयों की ओर जलार्पण हेतु बढ़ने लगा जो देर शाम तक चलता रहा।बड़ी संख्या में महिला पुरुष भगवान शिव का जलाभिषेक कर लोक मंगल की कामना हेतु भगवान शिव से प्रार्थना की।महुली क्षेत्र के दर्जनों गांवों के महिला पुरुष काँवर में मलिया नदी का पवित्र जल भरकर पैदल चलकर शनिचर बाजार स्थित शिव मन्दिर में जलाभिषेक किया।ततपश्चात डीजे की धुन पर थिरकते कावरियों का कारवां शिव पहाड़ी पहुँच शिव मंदिर में जलाभिषेक किया।जब कावरियों का समुह एक साथ नाचते-गाते चल रही थी तो दृश्य देखते ही बनती थी।काँवर यात्रा में नवयुवक दल के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया तथा कावरियों का सहयोग किया।
..इसलिए भगवान शिव को अति प्रिय है सावन..... श्रावण के महीने को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। यही कारण है कि इस महीने में महादेव की पूजा, आराधना का विशेष महत्व होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु सामर्थ्य अनुसार व्रत, उपवास, पूजन, अभिषेक आदि करते हैं। इस माह में की गई उपासना का विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है। लेकिन आखिर शिव की आराधना के लिए यह माह विशेष क्यों है ? भगवान शिव को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है, इसे लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसमें सनत कुमारों द्वारा भगवान शिव से सावन माह के प्रिय होने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया- कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया, उससे पहले देवी सती ने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल और रानी मैना के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया और पार्वती के रूप में देवी ने अपनी युवावस्था में, सावन के महीने में अन्न, जल त्याग कर, निराहार रह कर कठोर व्रत किया था। मां पार्वती के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। तभी से भगवान महादेव को सावन का महीन अतिप्रिय है।इसके अलावा सावन मास के लिए यह भी मान्यता है, कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्ध्य देकर, जलाभिषेक कर किया गया था। अत: माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इसीलिए भक्तगण इस महीने में उनकी भक्ति में लीन रहते हैं, जिससे शिव की कृपा प्राप्त हो सके। सावन माह को शिव भक्ति के लिए उत्तम मान गया है। इसके अलावा एक और कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार मरकंडू ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय द्वारा लम्बी आयु प्राप्त करने के लिए सावन माह में ही घोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त की थी।