'हेल्थ टिप्स' में मिलिए नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 प्रशांत शुक्ला से, जानिए इस मौसम में आप अपने बच्चों को सेहतमंद कैसे रखें
देखा जाता है कि गर्मी से बचाव के लिए नवजात बच्चों को पाउडर लगा दिया जाता है, तो मॉस्चर की वज़ह से फंगल इन्फेक्शन हो जा रहा है। इसलिए इस मौसम में नवजात बच्चों को पाउडर बिल्कुल ना लगाए।

sonbhadra
9:21 AM, October 9, 2024
आनन्द कुमार चौबे (संवाददाता)
सोनभद्र । बच्चों की इम्यूनिटी बड़ों के मुकाबले कम होती है और वह मौसम के प्रति भी काफी संवेदनशील होते हैं. ऐसे में जब थोड़ी-थोड़ी देर पर मौसम में सर्दी या गर्मी बढ़ जाती है तो वायरल समस्याएं होने लगती हैं. इस दौरान बड़ों को भी सर्दी-खांसी, बुखार जैसी हेल्थ प्रॉब्लम होने लगती हैं. मौसम के तापमान बदलने का असर बच्चों पर बहुत जल्दी पड़ता है. वहीं उन्हें संक्रमण लगने की संभावना भी ज्यादा रहती है. हालांकि अगर छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखा जाए तो बदलते मौसम में भी बच्चों को हेल्दी रखा जा सकता है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए जनपद न्यूज़ live आज से अपने पाठकों के लिए एक ख़ास कार्यक्रम 'हेल्थ टिप्स' शुरू किया है। 'हेल्थ टिप्स' के इस पहले संस्करण में आज हम रूबरू होंगे, शहर के जाने माने नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 प्रशांत शुक्ला से और उनसे अपने पाठकों के सवालों का जवाब जानेंगे साथ ही यह भी जानेंगे कि बदलते मौसम में माता-पिता अपने बच्चों का ख्याल कैसे रखें?
सवाल - इस समय किस प्रकार की मौसमी बीमारियां देखने को मिल रही हैं और बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए?
जबाब - अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है लेकिन मौसम में अभी भी गर्मी और उमस बनी हुई है जिससे बच्चों में इन दिनों सर्दी, जुकाम, बुखार और फंगल इन्फेक्शन की समस्याएं सामने आ रही हैं। मौसम में बदलाव होने पर कपड़ों का खास ध्यान रखना चाहिए। नवजात बच्चों को भी कंबल से ढक कर सुलाने से उनको फंगल इन्फेक्शन हो जाता है। ये भी देखा जाता है कि गर्मी से बचाव के लिए नवजात बच्चों को पाउडर लगा दिया जाता है, तो मॉस्चर की वज़ह से फंगल इन्फेक्शन हो जा रहा है। इसलिए इस मौसम में नवजात बच्चों को पाउडर बिल्कुल ना लगाए और तेल से भी हल्की मालिश करें। जहाँ तक हो सके बच्चों को रोज नहलाना चाहिए जिससे वह साफ हो जायेगा। बच्चों को लाइट वेट और थोड़े लूज, लेकिन फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहनाने चाहिए। जिससे उन्हें गर्मी भी नहीं लगेगी और ठंड से भी बचाव होगा। इस समय सर्द-गर्म मौसम की वज़ह से बच्चों में सर्दी जुकाम की वज़ह से नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्यायें भी आ रही है । ऐसी स्थिति में बच्चों को निमोनिया होने का खतरा भी रहता है। ऐसी परिस्थिति में कभी भी बच्चों किसी मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर ना खिलाएं बल्कि किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों में ज्यादातर सर्दी, जुकाम और वायरल बुखार की समस्याएं आ रही हैं और ये समस्यायें पानी की वज़ह से हो रही हैं इसलिए आरओ के पानी को भी उबाल कर उसे ठंडा होने के बाद बच्चों को पीने को दें।
सवाल - देखा जा रहा है कि बुखार के दौरान बच्चों का प्लेटलेट्स तेजी से गिर जा रहा है, ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए?
जवाब - ज़ब भी वायरल बुखार होगा। प्लेटलेट्स कॉउंट कम होने लगते हैं क्युंकि वायरल शरीर के बोन मैरो को प्रभावित करता है। इसके लिए बुखार आने और बच्चे को कमजोरी लगने पर सबसे पहले किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं और पाँच दिनों बाद डेंगू और चिकनगुनिया की पहचान के लिए बच्चे के खून की जाँच कराएं। 50 हजार तक प्लेटलेट्स गिरने के बाद भी यदि बच्चा सामान्य है तो घबराने की बात नहीं होती है। मेडिकली 20 हजार के नीचे प्लेटलेट्स आने पर ही उन्हें भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।
सवाल - इस समय देखा जा रहा है कि नवजात बच्चों में लूज मोशन शुरू हो जा रहा है इससे कैसे बचें?
जवाब - यहाँ दो चीजें हैं नवजात बच्चों में जो तीन माह तक के होते हैं वह यदि 10 से 15 बार भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में स्टूल पास कर रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है, यह एक समस्या प्रक्रिया है। नवजात के चार महीने का होने के बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन उसके बाद भी यदि इस तरह की समस्या बनी हुई है तब यह देखा जाता है कि बच्चा दूध पी रहा है या नहीं, बच्चे का वजन बढ़ रहा है या नहीं, बच्चा एक्टिव है या नहीं यदि सब कुछ सामान्य है तो घबराने की बात नहीं है। यदि बच्चे में चिड़चिड़ाहट, दूध नहीं पीने जैसी समस्या दिखने पर अपने नजदीकी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
सवाल - बच्चों में ज्यादा मोबाइल देखने की लत लग चुकी इससे कौन सी बीमारियां हो सकती हैं और इससे कैसे बचा जाए?
जवाब - ये समस्या तो स्वयं परिजनों द्वारा बनाया गया है। हम क्या करते हैं अपने काम को करने के चक्कर में बच्चों को मोबाइल थमा देते हैं। जिससे बच्चों ऑटीजम नामक बीमारी हो जा रही है जिससे बच्चे सोशल नहीं हो पा रहे हैं साथ ही लगातार झुक कर मोबाइल देखने से बच्चों में सर्वाइकल जैसी बीमारी भी देखने को मिल रही है। इसलिए बच्चों को एक नियमित समय के लिए ही मोबाइल का उपयोग करने दें और जहाँ तक सम्भव हो उन्हें अन्य खेल खेलने के लिए प्रेरित करें।
सवाल - स्थानीय तौर पर बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए क्या घरेलू उपाय करना चाहिए?
जवाब - बच्चों को हेल्दी रहने के लिए उनके डाइट का खास ध्यान रखना चाहिए और अगर मौसम बदल रहा हो तो बच्चों वायरल बीमारियों से बचाने के लिए उनकी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें जो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा दें, जैसे कीवी, संतरा, अन्य मौसमी फल, लहसुन, पालक, अन्य हरी सब्जियां आदि। बच्चों को बासी खाना न खाने को दें, ज्यादा देर से कटे हुए फल या खुले में रखे फल भी खाने को न दें। बाहर के जंक फुड्स बिल्कुल भी न दें। बदलते मौसम में बच्चों की डाइट में लिक्विड चीजों का सेवन बढ़ा देना चाहिए। जैसे शरीर की जरूरत के मुताबिक पानी पिलाने के अलावा घर पर बना छाछ, दूध, सूप। इससे शरीर को पोषक तत्व तो मिलेंगे ही साथ ही तरल पदार्थों के सेवन से बॉडी का टेम्परेचर बैलेंस करने में मदद मिलती है।
सवाल - नवजात बच्चों के माता-पिता को क्या मैसेज देना चाहेंगे?
जवाब - नवजात शिशुओं को छः माह तक सिर्फ माँ का स्तनपान कराएं, बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं, 1 से दो वर्ष के बच्चों को ताज़ा भोजन कराएं, नीचे का गिरा हुआ भोजन न खाने दें। स्कूल जाने वाले बच्चों को पानी उबाल कर उनके पानी की बोतल में दें, स्कूलों की टंकी का पानी न पीने दें साथ ही जंक फुड्स और बाहरी खाद्य पदार्थों को उन्हें न खाने दें जहाँ तक सम्भव हो घर का ही ताज़ा बना खाना खिलाएं।