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तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा मामले को लेकर आज संसद में जमकर हंगामा हुआ । महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया है । संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी देने का काम किया ।
इससे पहले एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसदों सुदीप बंदोपाध्याय और कल्याण बनर्जी ने पार्टी की तरफ से महुआ मोइत्रा को ही बोलने देने की अनुमति मांगी। हालांकि, सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 2005 में 10 सांसदों की सदस्यता रद्द करने का उदाहरण बता दिया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने साफ कहा था कि चूंकि सांसदों को एथिक्स कमिटी के सामने अपना पक्ष रखने का मौका मिला था, इसलिए अब संसद की गरिमा गिराने के दोषी पाए जाने के बाद वो सदन में बोलने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी टीएमसी सांसदों से कहा कि सदन की मान्य परंपराओं के अनुसार महुआ को बोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था ।